मप्र में अब तक लागू नहीं हुईं नई मजदूरी दरें

भोपाल। कमर तोड़ महंगाई से जहां हर वर्ग परेशान है वहीं दैनिक मजदूरी करने वाले बमुश्किल जीवन यापन करने पर विवश हैं। यह किसी विडंबना से कम नही कि एक तरफ देश में अच्छे दिन आने का ख्वाब दिखाकर सुशासन की बात कही जा रही हैं वहीं दूसरी तरफ शासन के ओहदेदार जो प्रत्येक महीने लाखों रूपए बतौर तनख्वाह लेकर वातानुकूलित कमरो से बाहर झांक कर दैनिक मजदूरों की बेहाली देखने से गुरेज कर रहे हैं।

भारत सरकार द्वारा 1 अक्टूबर 2014 से दैनिक मजदूरी में राहत प्रदान करते हुए बढ़ोत्तरी तो की गई है, लेकिन म.प्र. के दैनिक मजदूरों को उक्त बढ़ोत्तरी का लाभ मिल नही पा रहा है, जाने क्यों नौकर शाह दैनिक मजदूरों को तिल तिल कर मरने की स्थिती पर पहुंचाने पर तुले हुए हैं।

अधिकांश जिला कलेक्टरों द्वारा तीन महीने बीतने के बाद भी नई दैनिक मजदूरी दरों को लागू नही किया गया है। जाहिर है उन्हे अपने सिवाय अन्य कामगारों की कोई परवाह ही नही, बस कागजों में विकास की उड़ान भर कर पुरस्कार और प्रशंसा प्राप्त करना ही जैसा इन सबका ध्येय बन कर रह गया है। जानकार बताते हैं कि यह सब मध्यप्रदेश के कथित लोकप्रिय मुख्यमंत्री के निर्देशानुसार ही हो रहा है, वहीं विपक्ष ऐसे मुद्दों पर खामोशी अख्तियार कर अपने कर्तव्य भी भुला बैठी है।

आउट सोर्सिंग बना भ्रष्टाचार का नया हथियार
कभी नौकरी के नाम पर एक मुश्त रूपए मांग कर भ्रष्टाचार किया जाता था लेकिन समय बदलने के साथ भ्रष्टाचार का जैसे फैशन ही बदल गया और अब आउट सोर्सिंग के नाम पर हर महीने जाहिर तौर पर लूट की जा रही है। आउटसोर्स कर्मचारियों को शासन द्वारा तय न्यूनतम मजदूरी का प्रावधान है। इसके बावजूद मध्यप्रदेश में कार्य कर रहे कई आउट सोर्स एजेन्सी अपने कर्मचारियों को निर्धारित न्यूनतम मजदूरी से कम का भुगतान करते हुए आउटसोर्स के नाम पर शासन से कर्मचारियों को दिये जा रहे मेहनताने के बराबर अलग से राशि शासन से प्राप्त कर मजे में है। जाहिर है सेलरी बनाने एवं रिकार्ड मेटेंन के नाम पर शासन से वसूली जा रही उक्त अतिरिक्त राशि का विभागीय अफसरों में भी बंदरबांट होता है। कुल मिलाकर एक तरफ आठ घंटे काम करने वाले को न्यूनतम मजदूरी नही मिल पाती वहीं उसी कर्मचारी के नाम पर आउटसोर्स एजेंसी मुफ्त में हर महीने लाखों रूपए डकार रही हैं।

बिना अनुबंध के आउट सोर्स
यूं तो आउटसोर्स व्यवस्था में दो संस्थाओं के बीच मजदूरी सहित सभी नियमों का अनुबंध होता है मगर प्रदेश में उक्त नियमों का खुला माखौल उड़ाया जा रहा है। विभिन्न विभागों सहित राज्य शिक्षा केन्द्र अन्र्तगत कार्यालयों में बिना अनुबंध के आउटसोर्स गतिविधियां संचालित हैं जिसका न तो किसी आडिट में और न ही किसी पड़ताल में खुलासा हो पा रहा है।

ये रहे वो आदेश जो आज तक लागू नहीं हुए



#buttons=(Ok, Go it!) #days=(20)

Our website uses cookies to enhance your experience. Check Now
Ok, Go it!
$("#merobloggingtips-before-ad .widget").each(function () { var e = $(this); e.length && e.appendTo($("#before-ad")) }), $("#merobloggingtips-after-ad .widget").each(function () { var e = $(this); e.length && e.appendTo($("#after-ad")) });