उपदेश अवस्थी/लावारिस शहर। ये संघ का शेर तो काठ का निकला। अमेरिकी धमकी से डर गया। जिस हिन्दूवाद की लाइन पर खड़ा हुआ था आज उसी को काट रहा है।
मेरी व्यक्तिगत राय कुछ भी हो परंतु मोदी समर्थक कट्टरवादी हिन्दुओं के दिल में कुछ इस तरह की रायशुमारी हो रही है। चुनाव से पहले सोशल मीडिया पर जब मोदी की कट्टरवादी छवि के खिलाफ कुछ लिखा करता था तो ये कट्टरवादी इस कदर लतियाते थे मानो देशद्रोह कर दिया हो। अब इनके ही अपने हीरो मोदी ने इन्हें धर्म निरपेक्षता का पाठ पढ़ा दिया है।
ना केवल पढ़ा दिया है बल्कि खुली चेतावनी दी है कि यदि कट्टरवाद जारी रहा तो कड़ी कार्रवाई होगी। उस आदमी के खिलाफ जो कट्टरवाद फैला रहा है और उसके संगठन के खिलाफ भी।
सीधे शब्दों में कहें तो मोदी सरकार ने RSS को हदों में रहने की हिदायद दे दी है। साथ ही स्पष्ट कर दिया है कि भारत को 'हिन्दू राष्ट्र' बनाने का सपना कभी पूरा नहीं होगा। याद दिला दूं कि अभी 4 रोज पहले ही मेरठ में संघ प्रमुख मोहन भागवत ने भारत को एक हिन्दू राष्ट्र घोषित किया था।
यदि आप दुनिया भर में धार्मिक ताकतों का आंकलन करना चाहते हैं तो यह मामला एक उदाहरण हो सकता है। थोड़ा गौर से देखिए, जब तक मुसलमानों के खिलाफ अभियान चल रहा था, सब ठीक ठाक था। मोदी निश्चिंत घूम रहे थे। मुसलमानों को उनके हाल पर छोड़ रखा था, लेकिन जैसे ही ईसाई समाज की चर्चा शुरू हुई, सीन ही बदल गया। अमेरिका हमलावर हो गया। अमेरिका के राष्ट्रपति ने मोदी को लताड़ लगाई, अमेरिकी मीडिया ने मोदी की धुलाई की और प्रेशर में आए नरेन्द्र भाई मोदी ने सबसे पहले एक स्कूल के मामले में कमिश्नर को तलब कर ईसाई बिरादरी को यह संदेश दिया कि वो ईसाईयों की सुरक्षा के लिए कितने चिंतित हैं और अब कैथोलिक चर्च के कार्यक्रम में शामिल होकर संघ को खुली चेतावनी जारी कर दी।
मेरा हमेशा से मानना रहा है कि संघ को हिन्दूवाद और नफरत वाले साहित्य को त्यागकर सांस्कृतिक राष्ट्रवाद की लाइन पर आगे बढ़ना चाहिए, परंतु मेरे मानने से क्या होता है, मोहन भागवत जी को जो मानना होगा वही शिरोधार्य होगा। संघ में लोकतंत्र तो है नहीं। भागवत की कथा पर तालियां नहीं बजाईं तो बाहर कर दिया जाता है। अब देखना यह है कि भारत को 'हिन्दू राष्ट्र' घोषित कर चुके मोहन भागवत अपने पुराने प्रचारक के बदलते स्वरूप पर क्या प्रतिक्रिया जताते हैं। जता भी पाते हैं या...।