एम्पलायर्स को लगता है कि मोलभाव या दूसरे प्रकार के दवाब बनाकर वो कर्मचारियों की मांग के अनुरूप सेलेरी ना देकर पैसा बचा रहे हैं परंतु ऐसा नहीं है। कम सेलेरी या आफिस की राजनीति से परेशान कर्मचारी फ्रस्टेशन में रिजाइन नहीं करते बल्कि आफिस टाइम में दूसरे काम किया करते हैं।
ज्यादातर कर्मचारी इंटरनेट पर दूसरे काम निपटाते हैं और उन्हें खुशी होती है कि वो अपने नियोक्ता का नुक्सान कर रहे हैं। इस तरह वो अपने सीनियर या नियोक्ता से बदला लेते हैं:—
> 64% कर्मचारी निजी काम के लिए इंटरनेट उपयोग करते हैं।
> 60% ऑनलाइन खरीदी दिन में काम के वक्त में होती है।
> 65% व्यूअर्स दिन में 9 से 5 के बीच यूट्यूब देखते हैं।
> 77% कर्मचारी काम के दौरान ही फेसबुक लॉगइन करते हैं।
> हर 33 में से 1 व्यक्ति सिर्फ दफ्तर में फेसबुक चलाता है।
> कर्मचारी दफ्तर में फेसबुक बंद होने पर नौकरी छोड़ने के लिए तैयार हैं
> गूगल पर पैकमेन खेलने में औसतन 36 सेकंड से यूजर्स ने 48 लाख घंटे किए बर्बाद (2010) में।