पेइचिंग। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की मई में प्रस्तावित चीन यात्रा सरकारी मीडिया की सुर्खियों में छाई हुई है। विश्लेषकों ने कहा है कि वह दक्षिण एशिया में भारत के प्रभाव को देखते हुए महत्वाकांक्षी सिल्क रोड परियोजना के संदर्भ में उसके शक का निवारण करे।
चीन को मोदी का इंतजार
चाइना डेली और ग्लोबल टाइम्स ने विदेश मंत्री सुषमा स्वराज की राष्ट्रपति शी चिनफिंग के साथ मुलाकात को फर्स्ट पेज पर जगह दी है। वहीं सरकारी टीवी सीसीटीवी ने स्वराज के कार्यक्रमों को व्यापक कवरेज दी है। ग्लोबल टाइम्स में हेडलाइन है, 'मोदी मई में चीन की यात्रा करेंगे। इसके साथ ही शी का यह कथन भी है कि चीन और भारत को 'मतभेदों को धैर्यपूर्वक निपटाने' की जरूरत है। शंघाई एकेडेमी ऑफ सोशल साइंसेज के इंस्टिट्यूट ऑफ इंटरनेशनल रिलेशन्स में एक शोधार्थी हू झियोंग ने ग्लोबल टाइम्स से कहा कि मोदी की यात्रा से आपसी विश्वास में गहराई आ सकती है। भारत के लिए निवेश और व्यापार के अवसर ढूंढे जाएंगे। सीमा से जुड़े मुद्दों पर चर्चा होगी।
धैर्य से सुलझाएं सीमा विवाद
कई चीनी विश्लेषकों ने चीन-भारत सीमा से जुड़ी समस्या सुलझाने के लिए धैर्य और सावधानी बरतने की अपील की है। पेइचिंग यूनिवर्सिटी के एक प्रोफेसर चेन फेंग्जुन ने कहा कि भारत को अभी भी चीन की 'वन बेल्ट, वन रोड' वाली पहल को लेकर चिंताएं हैं। इन परियोजनाओं के लिए राष्ट्रपति शी ने 40 अरब डॉलर का आवंटन किया है।
बड़ी शक्तियों से संबंध रखने की इच्छा
शंघाई म्युनिसिपल सेंटर फॉर इंटरनेशनल स्टडीज के शोधार्थी वांग देहुआ ने कहा कि मोदी की चीन यात्रा का उद्देश्य सभी बड़ी शक्तियों से संबंध बनाना और उन सभी के बीच संतुलन स्थापित करते हुए भारत के लिए अधिकतम लाभ हासिल करना है। मोदी ने अपनी कूटनीतिक शैली से खुद को ऐसे नेता के रूप में स्थापित किया है, जो सभी बड़ी शक्तियों से संबंध बनाने की इच्छा रखता है और इन सभी के बीच संतुलन बनाकर चलता है।