नेत्रहीन कलेक्टर लड़ रहे हैं भ्रष्टाचार के खिलाफ जंग

Bhopal Samachar
उमरिया/मप्र। कहते हैं ईश्वर नेत्रहीनों की तीसरी आंख बहुत शक्तिशाली देता है। कई बार बड़ी बड़ी आखों वाले कलेक्टर वो सबकुछ नहीं देख पाते जो एक नेत्रहीन देख लेता है। यही साबित कर रहे हैं उमरिया के कलेक्टर कृष्ण गोपाल तिवारी। वो नेत्रहीन हैं फिर भी भ्रष्टाचार के खिलाफ जंग लड़ रहे हैं, मामलों को पकड़ रहे हैं और कार्रवाईयां कर रहे हैं। मात्र 6 माह में 40 से ज्यादा एफआईआर करवा चुके हैं।

कृष्ण गोपाल तिवारी ने 12 अगस्त 2014 को इतिहास बनाते हुए हुए पहली बार नेत्रहीन कलेक्टर के रूप में मध्य प्रदेश के आदिवासी बाहुल्य उमरिया जिले में पदभार ग्रहण किया। कलेक्टर ने पारदर्शी कामकाज के लिए अपने कक्ष में सीसीटीवी कैमरे स्थापित किए हैं। हालांकि उनकी कोशिश रहती है कि आम आदमी की शिकायतों को किसी भी हाल में सुना जाए। पदभार ग्रहण करने के बाद उन्होंने साप्ताहिक जन सुनवाई के लिए एक नई प्रणाली को शुरू किया और वो हर मंगलवार को हर एक व्यक्ति की शिकायतों को सुनते हैं।

उचित स्वास्थ्य सेवा सुनिश्चित करने के लिए लिए अक्सर वो जिला अस्पताल का दौरा करते हैं। उत्तर प्रदेश के अंबेडकर जिले के बसंतपुर में एक गरीब किसान के परिवार में जन्मे 33 साल के कृष्ण गोपाल तिवारी 2008 बैच के आईएएस है।

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