नई दिल्ली। मुंबई बम ब्लास्ट के प्रमुख अभियुक्त दाऊद इब्राहिम और उसकी गैंग की आर्थिक कमर तोड़ने के लिए भारत और अमेरिका के बीच तालमेल और बेहतर बनाया जाएगा। दाऊद गैंग के अलावा दोनों देश लश्कर-ए-तैयब, जमात-उल-दावा, जैश-ए-मोहम्मद जैसे खूंखार आतंकी संगठनों को मिलने वाले चंदे और उनकी बैंकिंग गतिविधियों पर रोक लगाने के लिए गहरे ताल्लुक बढ़ाएंगे।
शुक्रवार को यहां दोनों देशों के वित्त मंत्रियों की अध्यक्षता में आर्थिक व वित्तीय साझेदारी को लेकर बैठक में यह फैसला किया गया। भारत और अमेरिका ने अपने द्विपक्षीय आर्थिक रिश्ते को नया आयाम देने के लिए इस साङोदारी समूह का गठन किया है जिसकी आज पांचवीं बैठक हुई है।
भारतीय प्रतिनिधि मंडल में वित्त मंत्री अरुण जेटली के अलावा आरबीआइ गवर्नर रघुराम राजन समेत कई आला अधिकारी शामिल थे। दूसरी तरफ अमेरिकी दल में वित्त मंत्री जैकब ल्यू, अमेरिका के केंद्रीय बैंक फेडरल रिजर्व के उपाध्यक्ष स्टैनली फिशर शामिल थे।
लगभग दिन भर चली बैठक के बाद जारी संयुक्त बयान में कहा गया है कि दोनों देशों के बीच सूचनाओं के आदान-प्रदान को लेकर समझौता हो चुका है, लेकिन गलत तरीके से होने वाले हर तरह के वित्तीय लेन-देन को लेकर साङोदारी को और मजबूत किया जाएगा। सभी आतंकी संगठनों के वित्तीय नेटवर्क को धवस्त करने के लिए भारत और अमेरिका सूचनाओं को और बेहतर तरीके से छानबीन करेंगे।
जेटली ने बाद में बताया कि दोनों देशों के बीच हुई बातचीत में मनी लांडिंग और आतंकवादी समूहों को मिलने वाली आर्थिक सहायता पर रोक लगाना दो अहम विषय रहे। ध्यान रहे कि भारत अब उस अंतरराष्ट्रीय समूह का सदस्य देश बन गया है जिनके बीच गैर-कानूनी तरीके से होने वाले बैंकिंग लेन-देन की जानकारी स्वत: तरीके से सभी देशों के बीच साझा की जाएगी।
हाल के महीनों में रिजर्व बैंक की तरफ से भी लगातार आतंकवादी संगठनों की वित्तीय गतिविधियों पर नजर रखने के लिए कदम उठाये गये हैं। आज की बैठक के बाद दोनों देशों की वित्तीय एजेंसियों के बीच अलग से बैठक होगी और आगे की कार्रवाई का खाका तैयार किया जाएगा।
अमेरिका ने भारत में चलाई जा रही जन-धन योजना की काफी तारीफ की है और कहा है कि इसे और व्यापक बनाने के लिए वह हर तरह का वित्तीय सहयोग देने को तैयार है। भारत की तरफ से अमेरिका को यह भरोसा दिलाया गया कि आने वाले दिनों में विदेशी निवेश की राह आसान करने के लिए यहां और कदम उठाए जाएंगे। खास तौर पर विदेशी कंपनियों के लिए शेयर बाजार में निवेश करने के नियम आसान बनाए जाएंगे।