भोपाल। सीबीएसई स्कूलों की बेलगाम मनमानी के पीछे पहला और आखरी राज सिर्फ यह है कि जिन नेताओं पर जनता को न्याय दिलाने की जिम्मेदारी है, वो ही संगठित रूप से पेरेंट्स को लूटने में लगे हैं। इसमें भाजपा और कांग्रेस दोनों दलों के नेतागण शामिल हैं।
मप्र में पिछले 40 सालों से नियमों का ना बदला जाना, स्कूलों में मनमानी फीस वसूलना, स्टेशनरी में 200 प्रतिशत तक की कमीशनखोरी के खुलासों के बाद भी नेतानगरीय चुप क्यों है, जब इस बात की पड़ताल हुई तो पता चला कि जो नेतागण सीबीएसई स्कूलों का संचालन कर रहे हैं वो अपने स्कूलों पर लगाम कैसे लगाएं।
प्रदेश में 2008 से 5 साल तक तत्कालीन शिक्षा मंत्री अर्चना चिटनीस नियामक कमेटी की बात तो करती रहीं, लेकिन बना नहीं सकीं। नियामक कमेटी नहीं बनने के कारण की तह में जब हम पहुंचे तो पता चला कि कांग्रेस-भाजपा के कई बड़े नेताओं के बड़े-बड़े और महंगे स्कूल चल रहे हैं।
यानी प्रदेश के स्कूल व्यवसाय में एक बड़ी हिस्सेदारी प्रत्यक्ष-अप्रत्यक्ष तौर पर नेताओं की है। इनमें पूर्व मंत्री, विधायक, राजनीतिक पार्टियों में बड़ा ओहदा रखने वाले नेता भी शामिल हैं।
राष्ट्रीय नेताओं की बात करें तो कांग्रेस के पूर्व केंद्रीय मंत्री सलमान खुर्शीद और योजना आयोग के पूर्व उपाध्यक्ष मोंटेक सिंह अहलूवालिया, डीपीएस स्कूल ग्रुप का संचालन करते हैं। वहीं प्रदेश के बाहर की बात करें तो कई बड़े नेताओं के शैक्षणिक संस्थान हैं। इनमें राकांपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष और पूर्व केंद्रीय मंत्री शरद पवार का शरद पवार इंटरनेशनल स्कूल हैं, जो पुणे के महंगे स्कूलों में शामिल है।
इनमें से कोई भी स्कूल पैरेंट्स पर किसी तरह की रियायत नहीं कर रहा है। ये सभी मोटी फीस वसूलने के साथ राइर्ट्स की महंगी किताबें इस्तेमाल कर रहे हैं। अगर डीपीएस जैसे महंगे स्कूल की वेबसाइट्स देखें तो उस पर लिखा है कि वो बिना मुनाफा शिक्षा दे रहे हैं। ये इसलिए लिखना पड़ा, क्योंकि सीबीएसई का नियम है कि स्कूल की कमाई का पैसा स्कूल को छोड़कर कहीं और खर्च नहीं कर सकते।
स्कूल को धंधा नहीं बना सकते
सीबीएसई बायलॉज कहता है कि स्कूल को कमाई की दुकान नहीं बनाया जा सकता। इससे कमाई नहीं की जा सकती। उससे स्कूल की नई ब्रांच भी नहीं खोली जा सकती। यह राशि उसी स्कूल में खर्च की जाएगी, जिस स्कूल से कमाई हुई है।
निगरानी के लिए हर साल बैलेंस शीट अजमेर रीजन भेजने का नियम है लेकिन अजमेर रीजन के सेक्शन ऑफिसर आरके बालाजी के अनुसार मध्यप्रदेश के अधिकांश स्कूल बैलेंस शीट नहीं भेजते। खासकर इंदौर, जबलपुर, ग्वालियर, भोपाल, उज्जैन के 90 फीसदी स्कूलों ने सीबीएसई को बैलेंस शीट नहीं भेजी है। 5 साल में मान्यता रिन्यूवल के समय ही स्कूल अपनी औपचारिकताएं पूरी करते हैं।
12 राज्यों में हैं फीस नियामक आयोग
सेंट्रल एजुकेशन एक्ट 1973 में साफ कहा गया है कि शैक्षणिक संस्थाएं कमाई का साधन नहीं हैं। जो भी स्कूल से कमाई हो उसे स्कूल के विकास में ही लगाया जाए न कि नए स्कूल शुरू किए जाए। 12 राज्यों ने इस एक्ट का पालन किया लेकिन मध्यप्रदेश ने न हीं किया। अगर मध्यप्रदेश लागू करता तो उसे फीस नियामक आयोग बनाना पड़ता।
मालवा निमाड़ में नेताओं के स्कूल
भास्कर एकेडमी इंदौर- एकलव्य गौड़ (विधायक एवं इंदौर महापौर मालिनी गौड़ के बेटे)
विद्यासागर स्कूल इंदौर-सत्यनारायण पटेल पूर्व कांग्रेस विधायक
धार पब्लिक स्कूल, धार- करण सिंह पवार,पूर्व विधायक कांग्रेस
गौतम इंटरनेशनल, धार-बालमुकुंद गौतम, जिलाध्यक्ष कांग्रेस
सायना इंटरनेशनल स्कूल, कटनी- संजय पाठक, विधायक भाजपा कटनी
प्रियदर्शनी स्कूल, बोरावां खरगोन, कांग्रेस प्रदेशाध्यक्ष अरुण यादव
बाफना पब्लिक स्कूल मेघनघर झाबुआ-यशवंत कुमार बाफना, विश्व हिन्दू परिषद प्रांत प्रमुख
पटेल पब्लिक स्कूल आलीराजपुर, -महेश पटेल पूर्व कांग्रेस अध्यक्ष
कश्यप विद्यापीठ, बदनावर, धार चैतन्य कश्यप रतलाम विधायक
रघुवंश पब्लिक स्कूल सेंधवा बड़वानी-राजेंद्र रघुवंशी, पूर्व युकां जिलाध्यक्ष
सेंधवा पब्लिक स्कूल, सेंधवा बड़वानी-राजेंद्र मोतीयानी पूर्व नपा अध्यक्ष, कांग्रेस
सव्यसांची विद्यापीठ स्कूल उज्जैन- दिवाकर नातू, सिंहस्थ प्राधिकरण अध्यक्ष व भाजपा नेता।
स्टडी होम स्कूल, उज्जैन -प्रीति भार्गव, पूर्व विधायक व भाजपा नेता
चिल्ड्रन एकेडमी नीमच-महेंद्र भटनागर, भाजपा जिला महामंत्री
पटेल पब्लिक स्कूल नीमच-नंदकिशोर पटेल, कांग्रेस जिलाध्यक्ष
सन शाइन स्कूल सोनकच्छ देवास- राजेंद्र बघेल, पूर्व विधायक
ब्राइट स्टार सेंट्रल एकेडमी देवास-मतीन अहमद शेख, पूर्व प्राधिकरण उपाध्यक्ष
मारुति एकेडमी रतलाम- अजय तिवारी, भाजपा पूर्व जिला प्रवक्ता
मंदसौर इंटरनेशनल स्कूल,मंदसौर- नरेंद्र नाहटा-पूर्व मंत्री
भोपाल
कमला देवी स्कूल, भोपाल- रमेश शर्मा गुट्टु भैया, विधायक भाजपा
ग्रेट मेन स्कूल, सागर- पास्र्ल साहू, विधायक (सुर्खी)भाजपा
इंदिरा पब्लिक स्कूल, भोपाल- आरिफ मसूद, वरिष्ठ इंका नेता
राजीव गांधी स्कूल, भोपाल- साजिद अली, वरिष्ठ इंका नेता
आरडी मेमोरियल स्कूल, बैतूल- रितु हेमंत खण्डेलवाल(भाजपा विधायक
हेमंत खण्डेलवाल की पत्नी)
सतपुड़ा वैली पब्लिक स्कूल, बैतूल-कौशिक विनोद डागा (कौशिक डागा, कांग्रेस के पूर्व
विधायक विनोद डागा के बेटे हैं)
सुमित्रा पब्लिक स्कूल, बाबई(होशंगाबाद)-एसपीएस यादव (जेडीयू राष्ट्री अध्यक्ष शरद यादव के भाई)
ग्वालियर
सिंधिया स्कूल-गुना सांसद और पूर्व केन्द्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया
आईटीएम ग्लोबल स्कूल- कांग्रेस के पूर्व मंत्री रमाशंकर सिंह
आईपीएस पब्लिक स्कूल-मुरैना के भाजपा सांसद व पूर्व मंत्री अनूप मिश्रा
जीनियस किड्स इंटरनेशनल स्कूल-उदय घाटगे(केन्द्रीय मंत्री नरेन्द्र तोमर के करीबी)
आदर्श हायर सेकेंडरी स्कूल- पूर्व कांग्रेसी विधायक प्रद्युम्न सिंह तोमर
किडीज कॉर्नर-विजय गर्ग (पिता कांग्रेस के पदाधिकारी रहे हैं)
एबनेजर स्कूल-सुजीत वलियम्स (कांग्रेस के पूर्व पदाधिकारी)
पब्लिक कॉन्वेंट स्कूल-उमा सेंगर (जीडीए की पूर्व पदाधिकारी)
प्रदीप अग्रवाल (सेंवढ़ा विधायक (भाजपा))
भारतीयम विद्या पीठ दतिया जबलपुर
रॉयल हेरीटेज - सुशीला सिंह, पूर्व महापौर - भाजपा
सेंट्रल एकेडमी स्कूल - धर्मेन्द्र शुक्ला - भाजपा
लेनार्ड पब्लिक स्कूल - एलबी लोबो, मनोनीत विधायक-भाजपा
एमएमएन पब्लिक स्कूल - मुकेश चौबे - भाजपा
नचिकेता स्कूल - श्रवण भाई पटेल - कांग्रेस
लिटिल किंगडम स्कूल - रोहणी गायकवाड़ - कांग्रेस
लिटिल वर्ल्ड - विश्वनाथ दुबे, पूर्व महापौर - कांग्रेस
नालंदा पब्लिक स्कूल - संजीव कुमार गर्ग - कांग्रेस
मार्बल रॉक स्कूल - एसएस ठाकुर कांग्रेस
श्रवण कुमारी उच्चतर माध्यमिक स्कूल, रीवा- विधायक
सुंदरलाल तिवारी, कांग्रेस
डीएवी, शहडोल- छोटेलाल
सरावगी पूर्व विधायक, भाजपा
रुकमणी देवी पब्लिक स्कूल, नरसिंहपुर -उदय प्रताप सिंह,सांसद भाजपा
ओजस्वनी उत्कृष्टता संस्थान, दमोह -सुधा मलैया, वरिष्ठ नेत्री भाजपा एवं वित्त मंत्री जयंत मलैया की पत्नी
जरूरी है कमेटी बनना
रेगुलेटरी कमेटी बनना बहुत जरूरी है। भले ही शासन हस्तक्षेप न करे लेकिन स्कूल से जुड़े सभी सदस्य चाहे वो पैरेंट्स हों या टीचर। सभी को उस समिति में होना चाहिए। मेरे कार्यकाल 2008-12 के बीच में मैंने पैरेंट्स की इस समस्या को देखा और फीस-किताबों पर नियंत्रण एवं एकेडमिक कमेटी बनाने का कार्य शुरू किया था लेकिन चुनाव आ जाने के कारण हम कमेटी नहीं बना सके।
अर्चना चिटनीस, पूर्व शिक्षा मंत्री