वाशिंगटन। अमरीकी राष्ट्रपति बराक ओबामा ने कहा है कि कोई भी देश तभी मज़बूत होता है जब वहां रह रहे सभी धर्मों के लोगों को पूरी धार्मिक स्वतंत्रता हो। राष्ट्रपति बराक ओबामा के इस बयान के बारे में और जानकारी देते हुए अमरीका के राष्ट्रीय सुरक्षा परिषद के प्रवक्ता मार्क स्ट्रोह ने बीबीसी को बताया, "राष्ट्रपति बराक ओबामा ने भारत दौरे के दौरान साफ़ किया था कि भारत एक क़रीबी दोस्त और सहयोगी है. महात्मा गांधी की विरासत से हम अमरीका और पूरी दुनिया में असहिष्णुता से निपटने के लिए प्रेरणा लेते हैं."
मार्क स्ट्रोह ने आगे कहा, "भारत में और नेशनल प्रेयर ब्रेकफ़ास्ट कार्यक्रम के दौरान राष्ट्रपति का संदेश यह था कि धर्म की स्वतंत्रता एक मौलिक अधिकार है और किसी भी देश तभी मज़बूत होता है जब वहां सभी धर्म के लोगों को बिना किसी उत्पीड़न, डर और भेदभाव के, अपने धर्म को पालन करने की आज़ादी हो."
स्ट्रोह ने कहा कि राष्ट्रपति ने स्पष्ट रूप से कहा था कि ये बात किसी एक समूह, राष्ट्र या धर्म विशेष तक सीमित नहीं है.
इससे पहले नेशनल प्रेयर ब्रेकफ़ास्ट कार्यक्रम के दौरान अमरीकी राष्ट्रपति बराक ओबामा ने कहा था, "भारत में हाल के वर्षों में धार्मिक असहिष्णुता बढ़ी है और ये इतनी बढ़ी है कि अगर आज गांधीजी होते तो उन्हें भी इससे धक्का लगता."
उन्होंने कहा था, ''हम सीरिया में जातीय युद्ध देख रहे हैं, नाइज़ीरिया में मुसलमान और ईसाइयों की हत्या, सेंट्रल अफ़्रीकन रिपब्लिक में धार्मिक युद्ध और यूरोप में यहूदी विरोधी भावना बढ़ रही है और ये सब कई बार धर्म के नाम पर होता है.''
'विविधता वाला देश'
अमरीकी राष्ट्रपति ने कहा, ''मिशेल और मैं भारत से लौटे हैं. एक अविश्वसनीय, सुंदर देश जहां ज़बरदस्त विविधता है लेकिन हाल के वर्षों में वहां सभी धर्म के लोगों पर एक दूसरे के हमले बढ़े हैं.''
भारत के 66वें गणतंत्र दिवस पर होने वाले परेड में इस बार मुख्य अथिति रहे ओबामा ने कहा, ''ऐसी असहिष्णुता गांधीजी को भी दहला देती, जिन्होंने भारत को आज़ाद कराने में योगदान दिया था.''
इससे अपने भारत दौरे के आख़िरी दिन भी ओबामा ने दिल्ली के सिरीफ़ोर्ट में धार्मिक सहिष्णुता पर ज़ोर दिया था. हालांकि व्हाइट हाउस साफ़ कर चुका है कि ओबामा ने ये बात किसी पार्टी विशेष को ध्यान में रख कर नहीं कही थी.