जबलपुर। आदिवासी जिले डिंडौरी और मंडला में आदिवासी बालाओं की तस्करी का कारोबार थम नहीं रहा है। यहां आदिवासी बालाओं को दिल्ली, नोएडा और उत्तराखंड में बेचे जाने का अवैध कारोबार धड़ल्ले से चल रहा है। कई गिरोह पकड़े भी जा चुके हैं, लेकिन गत 20 जनवरी को डिंडौरी पुलिस ने जब मानव तस्करी में जुड़े दो दलालों को पकड़ा तो पहली बार यह राज खुला कि आदिवासी लड़कियां दक्षिण भारत में भी बिक रही हैं।
दरअसल ये अपराधी बालाओं को मजदूरी के बहाने दूसरे राज्यों में ले जाकर बेच रहे हैं, जिससे काफी समय तक पुलिस की निगाह में नहीं आते हैं। हाल ही में डिंडौरी जिले में चौंकाने वाला मामला प्रकाश में आया जिसमें एक आदिवासी युवती को केरल में बेचने ले जाया जा रहा था, जिसको पुलिस ने पकड़ा। पुलिस मामले की अब भी गहन जांच पड़ताल में जुटी है। जबलपुर के पड़ोसी जिले मंडला और डिंडौरी में मानव तस्करी का अवैध कारोबार पिछले एक दशक से चल रहा है।
पुलिस के आला अफसरों का भी मानना है कि इस कारोबार पर पूरी तरह रोक नहीं लग पाई है। दूर-दराज के आदिवासी गांवों में लड़किओं को काम धंधे में लगाने के बहाने उनके अभिभावकों को रकम देने के बाद दलाल ले जाते हैं और ये बालाएं बंधुआ मजदूर बना ली जाती हैं। इतना ही नहीं इनका दैहिक-शोषण भी होता है। तीन अपराध दर्ज डिंडौरी जिले में बीते वर्ष आदिवासी युवतियों को बेचे जाने के तीन मामले पंजीबद्ध किए गए हैं। इसमें आरोपी भी पकड़े गए। इसी तरह मंडला जिले में दो मामले दर्ज हुए, जबकि जबलपुर में मानव तस्करी का एक भी मामला दर्ज नहीं है, जबकि यहां भी युवतियां छतरपुर एवं राजस्थान में बेचे जाने की घटनाएं वर्ष 2014 में प्रकाश में आई हैं।