जबलपुर। शिक्षा विभाग के तय मापदंडों को पूरा किए बिना प्राइवेट स्कूलों को अपनी मान्यता का नवीनीकरण कराना या नई मान्यता हासिल करना अब आसान नहीं होगा। नए शिक्षण सत्र से स्कूलों को तय मापदंडों पर एकदम खरा उतरना होगा। क्योंकि मध्यप्रदेश स्कूल शिक्षा विभाग ने नए सत्र से प्राइवेट स्कूलों को नई मान्यता देने और वृद्घि करने के अधिकार जिला कलेक्टर और जिला शिक्षा अधिकारी को दे दिए हैं।
अधिकारों में होता रहा फेरबदल
स्कूलों की मान्यता संबंधी अधिकार सबसे पहले माध्यमिक शिक्षा मंडल के पास थे लेकिन मान्यता देने में मापदंडों की जांच आदि में हो रही देरी के बाद वर्ष 2014-15 में ये अधिकार लोकशिक्षण संचालनालय को दे दिए गए। इसके बावजूद अधिकांश मान्यता प्रकरणों का निराकरण नहीं हो सका। लिहाजा 11 फरवरी को प्रकाशित राजपत्र में पुनः अधिकारों में फेरबदल कर दिया गया।
लग सकता है ताला
जिला स्तर पर मान्यता के अधिकार दिए जाने से प्राइवेट स्कूलों की असलियत सामने आएगी। विभागीय टीम स्कूलों का निरीक्षण कर वास्तविक रिपोर्ट सौंपेगी जिसके आधार पर मान्यता दी जा सकेगी। जो स्कूल मापदंड पूरे नहीं कर रहे उन पर ताला लगना भी तय माना जा रहा है।
किसे कौन से अधिकार
कलेक्टर देंगे नए स्कूलों को मान्यता
मध्यप्रदेश माध्यमिक एवं उच्चतर माध्यमिक शाला विभागीय अनुमति मान्यता नियम 2015 के तहत सत्र 2015-16 से हाई और हायर सेकेण्डरी स्कूलों के लिए नई मान्यता कलेक्टर देंगे। डीईओ द्वारा भेजी गई निरीक्षण रिपोर्ट,प्रस्ताव के आधार मान्यता देना है या नहीं ये निर्णय अब कलेक्टर ले सकेंगे।
डीईओ करेंगे मान्यता में वृद्घि
जिला शिक्षा अधिकारी पहले मान्यता प्राप्त स्कूलों का निरीक्षण कराएंगे। मापदंडों पर पूरी तरह खरा उतरने वाले स्कूलों की मान्यता में ही वृद्घि कर सकेंगे। इसके अलावा मान्यता संबंधी अन्य प्रकरणों का निराकरण करने के अधिकार भी दिए गए हैं।
- ये मापदंड करने होंगे पूरे
- स्कूल,संस्था के पास स्वयं का या किराए का भवन हो।
- हाईस्कूल के लिए 4 हजार और हायर सेकेण्डरी स्कूल के लिए 5 हजार 600 वर्गफीट भूमि जरुरी।
- प्रति छात्र 5 से 10 वर्गफीट खुली भूमि यानी खेल के लिए पर्याप्त स्पेस हो।
- हाई और हायर सेकेण्डरी स्कूल में छात्र संख्या के हिसाब से विषयवार शिक्षक,स्टाफ हो।
- प्रयोग शाला,लायब्रेरी में प्रति छात्र पाठ्यक्रम के अलावा 2 किताबें सामान्य ज्ञान की हो।
- विकलांगों के लिए रैम्प व अन्य व्यवस्थाएं जरुरी।
- फर्नीचर, छात्र-छात्राओं के लिए अलग-अलग प्रसाधन, पेयजल और विद्युत व्यवस्था अनिवार्य।
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