नईदिल्ली। आपको यह खबर सुनकर ताज्जुब हो सकता है लेकिन यह बात पूरी तरह से सच है कि राजस्थान के कनौता राजपरिवार की बेटी पद्मिनी सिंह की शादी पाकिस्तान के उमरकोट राजघराने के राजकुमार करणी सिंह के साथ हुई है.
उल्लेखनीय है कि उमरकोट राजघराना पाकिस्तान के उन चुनिंदा हिंदु राजपूत परिवार में से एक हैं जो पाकिस्तान में एक खास अहमियत रखते हैं. उमरकोट राजघराने के राणा चंद्र सिंह पाकिस्तान पिपुल्स पार्टी के फाउंडिंग मेंबर्स में से एक हैं. इसके साथ ही पाक राजकुमार के परिवार ने ही 1540 में शेरशाह सूरी से हारने के बाद हुंमायूं को अपने महल में शरण दी थी. इसके अलावा उमरकोट महल में ही मुगल साम्राज्य के सबसे प्रसिद्ध शासक जलालुद्दीन अकबर का जन्म हुआ था. वर्तमान में उमरकोट महल करणी सिंह की संपत्ति में आता है।
नारायण निवास में हुई रॉयल वेडिंग
भारत की राजकुमारी और पाकिस्तानी राजकुमार की शादी जयपुर के होटल नारायण निवास में हुई. इस विवाह समारोह में पाकिस्तान से 120 बाराती आए थे. इन बारातियों का स्वागत कानोता के सरपंच ने किया. इस फंक्शन में उत्तर प्रदेश की बलरामपुर रियासत, आवागढ़म और मैसूर रियासत के लोग शामिल हुए. उल्लेखनीय है कि पाकिस्तान से आए दूल्हे का परिवार होली तक जयपुर में ही रहेगा।
अमरकोट का परिचय
अमरकोट वर्तमान पश्चिमी पाकिस्तान के सिन्ध प्रान्त का एक नगर है, जो मध्य काल में एक राज्य था। यह दिल्ली से सिंध जाने वाले मार्ग पर ज़िला थरपारकर का मुख्य स्थान है। जब दुर्भाग्यवश हुमायूँ और हमीदा बेगम दुश्मनों से बचकर यहाँ भागते हुए आए थे, तो मुग़ल सम्राट अकबर का जन्म 23 नवम्बर, 1542 को इसी स्थान पर हुआ था। गौरतलब हैं कि यह इलाका राजस्थान का अभिन्न अंग था। आज भी वहाँ हिन्दू राजपूत निवास करते हैं। रेगिस्तान और सिंध की सीमा पर होने के कारण अंग्रेज़ों ने इसे सिंध के साथ जोड़ दिया और विभाजन के बाद वह पाकिस्तान का अंग बन गया। हुमायूँ जब राज्यहीन होकर संरक्षण एवं आश्रय के लिए दर-दर भटक रहा था, तब ऐसी हीन एवं नैराश्यपूर्ण दुरावस्था में अमरकोट के राजपूत शासक राणा वीरसाल ने उसे शरण दी थी। अमरकोट के दुर्ग में ही सन 1542 ई. में अकबर का जन्म हुआ था। कहा जाता है कि पुत्र के जन्म का समाचार हुमायूँ को उस समय मिला जब वह अमरकोट से कुछ दूरी पर ठहरा हुआ था। जानकार यह भी बताते हैं कि परमार राजाओं ने बाड़मेर से सिंध के अमरकोट पर लड़ाई कर जीत हासिल की थी. उसके बाद एक मात्र सोढा राजपूतो की रियासत इसे माना गया हैं.
परिवार का राजनीतिक इतिहास
हमीर सिंह के पिता राणा चन्द्रसिंह सोढा - पूर्व कृषि और राजस्व मंत्री व निर्दलय सांसद लगातार 53 साल और पाकिस्तान पीपुल पार्टी के संस्थापक सदस्य रहे हैं। वहीँ, इनके भाई ठाकुर लक्ष्मण सिंह सोढा पूर्व केंद्रीय रेल मंत्री व पूर्व संघीय मंत्री जनरल अयूब खान की सरकार में रहे हैं। वे पाकिस्तान सरकार के तत्कालीन प्रधानमंत्री मोहम्मद अयूब के कार्यकाल में रेल मंत्री के रूप में सेवाएं देने वाले पाक के प्रमुख नेता जुल्फिकार अली भुट्टो के बेहद करीबी माने जाते थे। पूर्व प्रधानमंत्री स्व बेनजीर भुट्टो को उन्होंने अपनी गोद में खिलाया था। इन दो बड़े राजपूत नेताओ के बाद राणा हमीर सिंह सोढा जो वर्तमान अमरकोट राजघराने और सोढा राजपूतो के 26 वे राणा साहब हैं, जो पूर्व कृषि मंत्री सिंध सूबा रहे हैं सोढा राजपूतों का सिन्ध में बाहुल्य हैं। पाकिस्तान में सिंध के छाछरो, अमरकोट, नगरपारकर, मिठी मीरपुर, रोहड़ी, गढरा, खिंपरो, सांगड, मऊ, राणा जागीर थारपारकर तथा डिपलो आदि कस्बों में सोढा परमार राजपूतों की एक बड़ी तादाद है, जो आज भी अपने ठाट बाट से जी रहे हैं।
राणा चन्द्रसिंह का भारत से गहरा रिश्ता
राणा चन्द्र सिंह का विवाह बीकानेर राजघराने में हुआ था, जिनकी सास राजस्थान कांग्रेस की अध्यक्ष, राज्यसभा की सांसद है और मशहूर लेखिका रानी लक्ष्मी कुमारी चुंडावत की बड़ी पुत्री सुभद्राकुमारी से हुआ था। वहीँ राणा चन्द्रसिंह के पुत्र और वर्तमान अमरकोट रियासत के राजा हमीर सिंह का विवाह अजमेर के पास केकड़ी के बगेरा गाँव में हुआ। वहीँ, अब हमीर सिंह के पुत्र कुंवर करणी सिंह की शादी मान सिंह कनौता की पुत्री पद्मिनी कुमारी से हो रही हैं। करणी सिंह कराची और लन्दन में अपनी शिक्षा ग्रहण कर चुके हैं।
भारत से गहरा लगाव क्यों : दरअसल, पाकिस्तान में सोढा राजपूत ही बहुत संख्या में हैं, जिसकी वजह से उनको वैवाहिक रिश्तों के लिए भारत आना पड़ता हैं। ऐसे में कई राजघरानों से इनके वैवाहिक सम्बन्ध रहे हैं। राजनीतिक रूप से भी बड़े मजबूत रिश्ते इस शाही राजघराने के रहे हैं, पूर्व प्रधानमंत्री वीपी सिंह, बीजेपी के कद्दावर नेता रहे जसवंत सिंह, पूर्व मुख्यमंत्री राजस्थान सरकार और पूर्व उपराष्ट्रपति रहे भैरोसिंह के साथ इस राजपरिवार के खास सम्बन्ध जगजाहिर हैं।
सिंध हिंद के रिश्तें पर सरहद का रोड़ा
दरअसल, भारत और पाकिस्तान के बीच बंटवारे के बाद पिछले सत्तर सालो से सिंध के हिंदू राजपूत परिवारों को खासी दिक्कते झेलनी पड रही हैं। बड़े रसूखदार परिवारों के लिए यह दिक्कत कोई खास नहीं हैं, लेकिन आम राजपूत परिवारों के ऐसे कई लोग हैं, जिनका विवाह अभी तक नहीं हो पाया हैं। ऐसे लोगो की संख्या बहुत ज्यादा हैं। हालाँकि थार एक्सप्रेस के कारण थोड़ी राहत मिली हैं, लेकिन वीजा नियमों के गहरे पेच अभी भी परेशानियों को बढा रहे हैं। बाड़मेर जैसलमेर के सीमावर्ती इलाकों में पाकिस्तानी नागरिको को वीजा आसानी से नहीं मिलती और ऐसे में इन्हें कुंआरेपन के साथ पाकिस्तान में जिंदगी बितानी पडती हैं, क्योंकि एक ही गोत्र में विवाह हिंदू धर्म में वर्जित हैं।
शाही बारात के शाही मेहमान
इस शाही शादी पर भारत और पाकिस्तान के अलावा दुसरे मुल्को की नज़र भी हैं। इस शाही शादी में लगभग चार सौ से ज्यादा विदेशी मेहमान शरीक होंगे, जिनमे कई पाकिस्तानी राजनीती के बड़े चेहरे और चर्चित लोग भी नज़र आयेंगे। इस शादी में हिंदुस्तान के कई रजवाड़े और राजनितिक चेहरे शाही शादी के गवाह जयपुर में स्थित नारायण पैलेस में आयोजित भव्य विवाह समारोह में बनेंगे। गौरतलब हैं कि टीका रस्म निभाने भारत से गए समधी परिवार की शाही अगुवानी पाकिस्तान में हुई थी और पाकिस्तान के महत्वपूर्ण राजनितिक लोग वहाँ दिखे थे। दोनों मुल्को के बीच लकीर खींचने के बाद पहली बार भारत से सगाई टीका पाकिस्तान गया और बारात भारत आएगी।