नई दिल्ली। अदालत ने कहा है कि कोई भी शख्स, पत्नी को अलग करने पर उसे मेंटिनेंस देने से मना नहीं कर सकता। कोर्ट के मुताबिक, गुजारा भत्ता न देना आर्थिक दुर्व्यवहार है।
महिला को गुजारा भत्ता न देने के ट्रायल कोर्ट के फैसले को खारिज करते हुए अडिशनल सेशन जज पुलस्त्या प्रमाचला ने कहा कि अगर कोई साक्ष्य नहीं है, तो इसका मतलब यह नहीं है कि घरेलू हिंसा न की जा रही हो।
कोर्ट ने कहा कि दाखिल तथ्यों से साफ है कि महिला के पास खुद को मेंटेन करना का कोई सोर्स नहीं है, लेकिन उसके पति के पास आरामदायक जीवन-यापन के पर्याप्त साधन हैं, इसलिए वह पत्नी को मेंटेन करने से इनकार नहीं कर सकता। अदालत ने कहा कि पति का कोर्ट में बहस करना यह दिखाता है कि वह महिला को मेंटिनेंस देना नहीं चाहते और यह उस पर आर्थिक दुर्व्यवहार है। टिप्पणी में यह भी कहा गया कि ट्रायल कोर्ट ने घरेलू हिंसा की कंप्लीट परिभाषा को अनदेखा किया गया है।