भोपाल। कांग्रेस के तमाम नेताओं द्वारा सामूहिक रूप से शिवराज सिंह चौहान के व्यापमं में शामिल होने का खुलासा करते हुए इस्तीफा मांगने के तत्काल बाद सीएम की ओर पेडन्यूज के आरोपी मंत्री नरोत्तम मिश्रा ने मीडिया को संबोधित किया। उन्होंने आते ही कांग्रेस की गिल्लियां उड़ाने की कोशिश की परंतु जैसे ही कलमकारों ने तकनीकी सवाल पूछने शुरू किए तो मंत्रीजी चुप रह गए।
मंत्री मिश्रा ने इसे सस्ती लोकप्रियता पाने का शगूफा करार दिया है। प्रदेश के स्वास्थ्य मंत्री नरोत्तम मिश्रा ने कांग्रेस की प्रेस कांफ्रेस के फौरन बाद मीडिया से मुखातिब होते हुए मुख्यमंत्री और उनके परिवार के सदस्यों पर लगाए गए सभी आरोपों को एक सिरे से खारिज कर दिया। नरोत्तम मिश्रा ने उल्टा आरोप लगाया कि नगर निकाय चुनावों में हार से बौखलाई कांग्रेस खबरों में बने रहने के लिए बे सिर पैर के तथ्यहीन आरोप मुख्यमंत्री पर लगा रही है।
मिश्रा ने ये भी आरोप लगाया कि प्रदेश में अलग अलग खेमों में बंटी कांग्रेस के ये नेता एक मंच से मुख्यमंत्री का इस्तीफा मांगकर झूठी एकजुटता दिखाना चाहते हैं। नरोत्तम मिश्रा ने कांग्रेस द्वारा व्यापमं फर्जीवाड़े की सीबीआई से जांच कराने की मांग को एक सिरे से खारिज करते हुए एसटीएफ द्वारा की जा रही जांच पर भूरा भरोसा जताया। मगर सीबीआई से जांच नहीं कराने के सवाल पर मिश्रा के पास कोई जवाब नहीं था और न ही एसटीएफ पर भरोसा जताने की कोई वजह।
मिश्रा दिग्विजय सिंह, कमलनाथ और ज्योतिरादित्य सिंधिया के नितिन महिंद्रा की कम्प्यूटर की हार्ड डिस्क, एक्सल शीट से जुड़े सवालों को भी टाल गए। नरोत्तम मिश्रा ने कांग्रेस के इस आरोप का भी कोई जवाब नहीं दिया कि एसटीएफ ने संघ और भाजपा की पृष्ठभूमि से जुड़े कुछ चुनिंदा आरोपियों की जमानत का अदालत में विरोध क्यों नहीं किया? जबकि आज भी एक हजार से ज्यादा लोग जेल में सिर्फ इसलिए बंद है, क्योंकि एसटीएफ ने उनकी जमानत का विरोध किया।