भोपाल। दिल्ली में बसे मप्र मूल के 2 लाख वोटर्स दिल्ली विधानसभा के चुनावों में निर्णायक भूमिका निभाएंगे। यह एक बल्क वोटिंग होगी और भाजपा ने पूरी ताकत लगा दी है कि यह वोट बैंक उनके अकाउंट में डिपाजिट हो।
हालांकि सर्वे में आम आदमी पार्टी आगे चल रही है परंतु आश्चर्यजनक यह है कि क्षेत्रवाद के आधार पर दिल्ली के चुनाव की रणनीति केवल भाजपा ने ही बनाई है। दिल्ली के चुनावों में कांग्रेस पूरी तरह से बाहर हो गई लगती है। आम आदमी पार्टी के मुकाबले भाजपा जोरदारी के साथ ना केवल खड़ी है बल्कि उसकी रणनीति भी आप से काफी अलग है।
दिल्ली चुनाव इस बार पूरी तरह से मप्र पर डिपेंड हो गए हैं। मध्यप्रदेश के संघ प्रचारकों के अलावा शिवराज को छोड़कर भाजपा के तमाम बड़े नेता इन दिनों दिल्ली में हैं। पहली बार ऐसा होते देखा गया है कि भाजपा ने दिल्ली में रह रहे मप्र मूल के पूरे 2 लाख वोटर्स को एकजुट कर लिया है। भाजपा किसी भी सूरत में बल्क वोटिंग कराना चाहती है। सामान्यत: मप्र के वोटर्स दिल्ली के चुनाव में वोटिंग नहीं किया करते थे। केवल सरकारी जरूरतों के लिए उन्होंने वोटर कार्ड बनवा लिया था परंतु इस बार कोशिश की जा रही है कि वो पोलिंग बूथ तक पहुंचें।
दिल्ली के चुनावों का प्रचार केवल दिल्ली तक ही सीमित नहीं है परंतु भाजपा के कार्यकर्ता मप्र में रह रहे उन परिवारों से भी संपर्क कर रहे हैं जिनके परिजन दिल्ली में वोटर हैं। भाजपा की रणनीति है कि जब मप्र में रह रहे परिवारजन व्यक्तिगत रूप से आग्रह करेंगे तो वोट मिल ही जाएगा।