भोपाल। नेशनल कम्युनिकेबल डिसीज कंट्रोल प्रोग्राम के अफसरों ने भोपाल समाचार के उस आरोप को प्रमाणित कर दिया जिसमें हम लगातार कहते आ रहे हैं कि मप्र में स्वाइन फ्लू डॉक्टरों की लापरवाही के कारण फैला है। डॉक्टर शुरूआत में ही इसे रोक सकते थे, लेकिन उन्होंने ऐसा नहीं किया। मेडिकल माफिया को लाभ पहुंचाने के लिए स्वाइन फ्लू को बढ़ने दिया गया।
अब यही खुलासा नेशनल कम्युनिकेबल डिसीज कंट्रोल प्रोग्राम के अफसरों ने अपनी रिपोर्ट में किया है। रिपोर्ट के अनुसार अस्पतालों में स्वाइन फ्लू के संदिग्ध मरीजों की जांच व पॉजिटिव मरीजों के इलाज में पेशेंट ट्रीटमेंट गाइडलाइन का पालन नहीं किया गया। रिपोर्ट के बाद सरकार ने उन 2 अस्पतालों में स्वाइन फ्लू के संदिग्ध मरीजों के सुआब के नमूनों की पैकिंग आईसोलेशन वार्ड में ही शुरू कर दी है जिनकी जांच की गई थी।
ओपीडी में लगाई आईसोलेशन वार्ड के डॉक्टर की ड्यूटी
रिपोर्ट के मुताबिक जेपी और बैरागढ़ सिविल अस्पताल में स्वाइन फ्लू ओपीडी के ड्यूटी डाॅक्टर्स को आईसोलेशन वार्ड में मरीजों के सुआब का नमूना लेने की जिम्मेदारी दी गई। आईसोलेशन वार्ड में संदिग्ध और पॉजिटिव मरीजों को रखा जाता है।
इस कारण वार्ड के ड्यूटी डॉक्टर के कपड़ों पर वायरस एच 1 एन 1 के पहुंचने की आशंका रहती है। बावजूद इसके दोनों अस्पतालों की फ्लू ओपीडी में आईसोलेशन वार्ड के डॉक्टरों की ड्यूटी लगाई गई, जो पेशेंट ट्रीटमेंट गाइडलाइन के विरुद्ध है।