रामनरेश की रामलीला चालू आहे...

shailendra gupta
भोपाल। कल खबर आई थी कि मप्र के राज्यपाल महोदय बाबू रामनरेश ने केन्द्र में दवाब में इस्तीफा दे दिया है परंतु शाम होते होते राजभवन से आफ द रिकार्ड खुलासा हुआ कि अभी इस्तीफा नहीं दिया गया है, हालांकि वो इस्तीफा देने को तैयार हैं परंतु वो चाहते हैं कि इस्तीफा लेकर दिल्ली जाएं और राष्ट्रपति महोदय को हाथों हाथ दें। अब वो ऐसा क्यों चाहते हैं ? इसके कई जवाब हो सकते हैं। कुल मिलाकर रामनरेश की रामलीला जारी है...।

भारत के लोकतंत्र और संसदीय व्यवस्था के लिए इससे बड़ा दुर्भाग्यपूर्ण सबक शायद कोई नहीं हो सकता। कांग्रेस ने जुगाड़ की राजनीति के चलते एक ऐसे व्यक्ति को राज्यपाल बनाया जो ना तो कांग्रेसी था और ना ही राज्यपाल के योग्य। यहां बता दें कि बाबू रामनरेश यादव उप्र में कांग्रेस सरकार के मुख्यमंत्री नहीं थे, बल्कि जनता पार्टी की सरकार के मुख्यमंत्री थे और भाजपा समर्थित भी। बाद में राजनीति की जमीन तलाशते तलाशते वो कांग्रेस में जा पहुंचे और खुद को मुलायम क बाद यूपी का दूसरा सबसे बड़ा यादव नेता प्रदर्शित किया।

यूपी में एक एक वोट को तरस रही कांग्रेस ने यादव में संभावनाएं देखीं और एक तरह की सौदेबाजी के तहत मप्र के राज्यपाल का पद सौंप दिया गया। यूपी में यादव वोट बैंक के लिए यह कदम उठाया गया, रामनरेश की योग्य को ध्यान में रखते हुए नहीं। अजीब बात तो यह है कि सौदेबाजी में माहिर कांग्रेस के इस सौदे को भाजपा में भी यथावत रखा। पूरे देश में राज्यपालों को बदला गया परंतु बाबू रामनरेश यथावत रहे, ना केवल बने रहे बल्कि ऐसा लगने लगा मानो मुख्यमंत्री द्वारा संरक्षित राज्यपाल बन गए।

संवैधानिक और पदेन शक्तियों की बात नहीं करते, लेकिन आम जनता में राज्यपाल की छ​वि कुछ इस तरह की पेश आई मानो वो मुख्यमंत्री के अधीन काम कर रहे हों। शिवराज सिंह चौहान जिस तरह अपनी केबीनेट के मंत्रियों के बचाव में सामने आते थे, वैसे ही रामनरेश यादव के बचाव में आए। सबकुछ भूलकर उन्हें क्लीन बनाए रखने की कोशिश की गई परंतु वक्त को कुछ और ही मंजूर था और एफआईआर हो ही गई।

अब पता चला है कि बाबू रामनरेश सरकारी विमान से फरार होने की तैयारी कर रहे हैं। शायद इसीलिए उन्होंने इस्तीफा फैक्स या मेल करने के बजाए स्वयं दिल्ली जाकर देने का मन बनाया है। यहां राजभवन के दरवाजे पर एसटीएफ खड़ी है। बाहर निकलते ही गिरफ्तारी का खतरा है। इसलिए दिल्ली जाना चाहते हैं, लेकिन मैं समझ नहीं पा रहा हूं कि इससे होगा क्या

  • क्या एसटीएफ को ट्रेन में दिल्ली का रिजर्वेशन नहीं मिलेगा
  • क्या एसटीएफ किसी दूसरे विमान से दिल्ली नहीं जा पाएगी
  • क्या भारत के पुलिसिंग सिस्टम के तहत दिल्ली पुलिस राष्ट्रपति भवन के बाहर उनका इंतजार नहीं कर पाएगी
  • बकरे की अम्मा आखिर कब तक खैर मनाएगी

स्वाभिमान की बात करें तो तुरंत इस्तीफा देकर राजभवन छोड़ देना चाहिए था, कार्रवाई का सामना करते और हाईकोर्ट में प्रकरण को चुनौती देते हुए एसटीएफ की कार्रवाई को गलत और खुद को निर्दोष साबित करते। इस जिल्लत की जिंदगी का अब लाभ ही क्या ?

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