अगर आपको किसी काम के लिए लोन की जरूरत है, तो आप की कोशिश होगी कि लोन कम ब्याज पर और जल्दी मिले। इन्वेस्टमेंट करना चाहते हैं, तो चाहत होगी कि अच्छा ब्याज मिले और रिस्क कम हो। इन दोनों के लिए एक नया ऑप्शन भारत के फाइनैंशल मार्केट में आ गया है। इसका तकनीकी नाम है पी टू पी लैंडिंग, यानी लोगों से लोगों को उधार दिलाना। इसमें सारी औपचारिकता इंटरनेट के जरिए होती है। जो कर्ज लेना चाहता है, उसके पास कर्ज देने वालों का चुनाव करने का विकल्प होता है।
कंपनियों के पास कर्ज देने और लेने वालों की पूरी डिटेल होगी, मगर वह यह डिटेल गुप्त रखेगी। मार्केट में कई कंपनियां इस कारोबार में है, मसलन faircent.com, rangde.org, milaap.org
कैसे मिलेगा कर्ज
जो कर्ज लेना चाहता है और जो देना चाहता है, उन्हें पहले कंपनियों के पास नाम रजिस्टर कराना होगा। इसके बाद उनके नाम, पता और कारोबार से संबंधित दस्तावेजों और पैन नंबर, बैंक स्टेटमेंट्स, सैलरी स्लिप आदि को कंपनियों के पास जमा कराना पड़ेगा। जांच के बाद कंपनी नामों की लिस्टिंग फाइनल करेगी। कंपनी कर्ज लेने वाले के प्रोफाइल को देखते हुए रिस्क का हिसाब लगाएगी और फिर मिनिमम ब्याज दर तय करेगी।
इसे कर्ज देने वालों के पास भेजा जाएगा। अब कर्ज देने वाले ब्याज दर ऑफर करेंगे। उसे कर्ज लेने वालों को दिखाया जाएगा। कर्ज देने वालों का नाम और कारोबार बताया जाएगा, मगर बाकी सूचनाएं नहीं बताई जाएंगी। कर्ज लेने वाला ब्याज दर पर हामी भरेगा और अग्रीमेंट हो जाएगा और अडवांस में चेक ले लिया जाएगा। फिर कर्ज की रकम उसके खाते में ट्रांसफर कर दी जाएगी। कंपनी कर्ज लेने वाले से ब्याज की कुल रकम का 2 से 6 प्रतिशत और कर्ज देने वाले से 1 प्रतिशत फीस के रूप में लेगी।
कितनी रकम, कितनी अवधि
पी टू पी लैंडिंग में 15 लाख रुपये तक कर्ज लिया जा सकता है। कर्ज की अधिकतम अवधि 3 साल होगी। अगर किसी को एक लाख रुपये कर्ज लेना है, तो उसे यह पांच से ज्यादा कर्ज देने वालों से दिलाया जाएगा, मगर ब्याज दर एक ही होगी। इसका मतलब है कि कोई भी कर्ज देने वाला किसी एक व्यक्ति के कुल कर्ज का 20 फीसदी ही दे सकता है। यह शर्त इसलिए लगाई गई है कि अगर कोई डिफॉल्टर हो जाता है, तो उसका भार एक कर्ज देने वाले पर न पड़े।
कितना फायदेमंद है यह
फेयरसेंट डॉट कॉम के फाउंडर और सीओओ विनय मैथ्यू का कहना है कि बैंकों से कर्ज लेने में ज्यादा समय लगता है और ब्याज भी 18 से 24 प्रतिशत तक देना पड़ता है। यहां कर्ज जल्दी मिल जाएगा और साथ ही प्रतिस्पर्धा के चलते ब्याज दर भी कम लगेगा। यहां जितने कर्ज लेने वाले हैं, उतने देने वाले भी हैं। कंपनी के सीईओ रजत गांधी के अनुसार बैंकों में अब डिपॉजिट और ब्याज दरों में कमी होनी शुरू हो रही है। ऐसे में एक कर्जदाता के हिसाब से यह फ्लैटफॉर्म बहुत अच्छा है।