भोपाल | इंसान को जब कोई रास्ता दिखाई नहीं देता तो वो अंधविश्वास की ओर मुड़ जाता है। स्वाईन फ्लू के मामले में मप्र में कुछ ऐसा ही हो रहा है। सरकार के अखबारी दावों के इतर अस्पतालों में स्वाईन फ्लू के मरीजों के इलाज का प्रयास तक नहीं किया जा रहा। नतीजा निराश लोगों ने इससे बचने के लिए टोना टोटका अपनाना शुरू कर दिए।
मध्य प्रदेश में स्वाइन फ्लू के फैलने से लोग डरे हुए हैं, बुंदेलखंड में तो लोगों ने इस बीमारी से बचने के लिए अस्पताल का रुख करने के बजाए टोना-टोटकों का सहारा लेना शुरू कर दिया है। यही कारण है कि हर धर्म से नाता रखने वालों के गले में एक ताबीज और कपड़े की छोटी सी पोटरी बंधी नजर आ जाएगी। राज्य में स्वाइन फ्लू का कहर लगातार बढ़ता जा रहा है, राजधानी भोपाल से लेकर छोटे शहरों तक में इस बीमारी ने दस्तक दे दी है। अब तक 100 से ज्यादा लोग इस बीमारी से जान गंवा चुके हैं, जबकि हजार से ज्यादा इस बीमारी की जद में हैं।
सरकार ने तमाम जिलों में इस बीमारी से लोगों को बचाने के लिए खास इंतजाम होने के दावे किए हैं, मगर असलियत क्या है, देखना हो तो टीकमगढ़, अलीराजपुर या शिवपुरी के जिला अस्पताल चले जाइए। निराश नागरिक क्या करें, सो टोटकों को अपनाना शुरू कर दिया है।
ग्रामीणों का कहना है कि सरकारी अस्पताल में तो जुकाम का इलाज कराना भी मुश्किल हो गया है। डॉक्टर देखते ही मंहगी जाचों की लिस्ट बना देते हैं, कहते हैं सही इलाज चाहिए तो बाजार की दवा लेनी होगी। फिर मंहगी दवाओं की लम्बी लिस्ट बन जाती है। जरा सो जुकाम पीड़ित को अस्पताल का एक चक्कर 5 हजार से कम का नहीं पड़ रहा। सरकारी अस्पतालों में स्वाईन फ्लू के नाम पर लोगों को लूटने का धंधा जोरों से जारी है।
सब जानते हैं कि डॉक्टरों की शिकायत नहीं की जा सकती। करें भी तो किससे, जो जांच अधिकारी है वो भी तो इसी सिस्टम में शामिल है। अत: लोग निराश होकर लौटना ही बेहतर समझते हैं।