नागपुर। घरेलू व्यापारियों को नुकसान होने का दावा करते हुए राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के इकनॉमिक विंग स्वदेशी जागरण मंच ने विदेशी ई-कॉमर्स फर्म अमेजन को सरकार से बैन करने की मांग की है। स्वदेशी जागरण मंच का कहना है कि इन फर्मों की वजह से इंडियन मार्केट में घरेलू व्यापारियों को भारी नुकसान हो रहा है। हालांकि इस कहानी का अंत यहीं नहीं होता है। खबर है कि आरएसएस फ्लिपकार्ट जैसे इंडियन ई-रीटेलर्स को भी देश में बैन करना चाहता है। इन ई-रीटेलर्स की विदेशी फंड लाने में बड़ी भूमिका है।
खबर है कि मोदी सरकार की एफडीआई नीति से नाराज स्वदेशी जागरण मंच के नेताओं ने इस महीने की शुरुआत में वित्त मंत्री अरुण जेटली से मुलाकात की थी। इन नेताओं ने आम बजट पर बात की और एफडीआई पर श्वेत पत्र लाने की भी मांग की। बैन की मांग पर विपक्षी पार्टी कांग्रेस ने तंज कसते हुए प्रतिक्रिया दी है। कांग्रेस ने कहा कि यही मोदी सरकार का असली डिजिटल इंडिया है।
स्वदेशी जागरण मंच के संयोजक अश्विनी महाजन ने कहा, 'हम लोगों का मानना है कि ई-कॉमर्स में एफडीआई को कानून बनाकर रोकना चाहिए। हमलोग ई-कॉमर्स साइट्स में एफडीआई की अनुमति नहीं देते हैं लेकिन ये कानून को धोखा दे इंडिया में अपना प्रॉडक्ट बेच रहे हैं। यहां तक कि फ्लिपकार्ट जैसे इंडियन ई-कॉमर्स फर्म को भी विदेशों से फंड मिल रहे हैं। ऐसा अप्रभावी कानून के कारण हो रहा है जिसे हम अनुमति नहीं दे सकते। हमने वित्त मंत्री से कहा है कि इस कमी को कानून के जरिए दूर किया जाए।'
इंडियन लॉ के मुताबिक मार्केट में एफडीआई की अनुमति है। मोतीलाल ओसवाल रिपोर्ट के अनुसार इंडिया में 11 अरब डॉलर का ई-कॉमर्स मार्केट है। उम्मीद है कि इस साल 37 पर्सेंट ग्रोथ के साथ इसका मार्केट 20 अरब डॉलर का हो जाएगा।
हालांकि सरकार के पास ई-कॉमर्स इंडस्ट्री का कोई डेटा नहीं है। इसे रेग्युलेट करने के लिए एक बॉडी बनाने की बात चल रही है। महाजन ने कहा कि ई-कॉमर्स रीटेल में एफडीआई से ज्यादा खतरनाक है। उन्होंने कहा कि ई-कॉमर्स की अवधारणा यूपीए सरकार में आई। महाजन ने कहा, 'ई-कॉमर्स में समानों की अतार्किक कीमत पूरी तरह से अनैतिक है। इससे देश के अंदर खुदरा व्यापारियों को भारी नुकसान हो रहा है। ये भारी छूट का लोभ देकर भारतीय ग्राहकों को आकर्षित कर रहे हैं लेकिन विदेशी कंपनियां भारत में खुदरा बाजार को खत्म करने के लिए एक रणनीति के तहत काम कर रही हैं।'
महाजन ने एक उदाहरण देते हुए कहा, 'पब्लिशर जिस किताब पर 35 पर्सेंट की छूट दे रहा है उसी किताब पर फ्लिपकार्ट 50 पर्सेंट छूट दे रहा है। इस हालत में मैंने वित्त मंत्री से कहा कि कानून बनाकर इन कमियों को दूर किया जाए। हम अपनी मांगों का असर इस आम बजट में ही देखना चाहते हैं।' स्वदेशी जागरण मंच के नेताओं ने डिफेंस और इंश्योरेंस सेक्टर में भी एफडीआई की सीमा बढ़ाने पर नाराजगी जाहिर की है। इन नेताओं ने एफडीआई पर वित्त मंत्री से श्वेत पत्र जारी करने की मांग की है। महाजन ने कहा कि सरकार मेक इन इंडिया की बात कर रही है लेकिन दूसरी तरफ ज्यादा एफडीआई की भी बात हो रही है। उन्होंने कहा कि हम स्पष्ट रूप से जानना चाहते हैं कि हो क्या रहा है?