राहुल बाबा के लौटने से पहले ही कहीं...!

shailendra gupta
राकेश दुबे@प्रतिदिन। चुनावों में करारी शिकस्त और कांग्रेस में चल रही आलोचना को हवा से निजात पाने के लिये राहुल बाबा छुट्टी पर गये हैं| उनके जाते ही कांग्रेस में दो धड़े साफ दिखाई देने लगे हैं| एक श्रीमती सोनिया गाँधी के हाथ से कमान लेकर राहुल बाबा को सौपना चाहता है तो दूसरे को अभी भी सोनिया गाँधी से चमत्कार की उम्मीद है|

अन्य लोगों की तरह राजनीतिकों को भी कुछ समय के अवकाश की जरूरत हो सकती है। पश्चिम में तो नेताओं का छुट्टी पर जाना आम बात है। कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी के अचानक अवकाश पर चले जाने से कई सवाल उठे हैं, कुछ अटकलें भी लगाई गई हैं। कांग्रेस का कहना है कि उन्होंने छुट्टी पर जाने से पहले पार्टी को औपचारिक तौर पर सूचित किया, लौट कर वे फिर से पार्टी के काम में सक्रियता से लग जाएंगे। पार्टी ने यह भी कहा है कि उनके इस समय अवकाश पर जाने का मकसद कुछ समय एकांत में रह कर पार्टी की और अपनी भविष्य की भूमिका पर चिंतन-मनन करना है।

वैसे बजट सत्र से पहले छुट्टी पर जाने और सोच-विचार के लिए पर्याप्त गुंजाइश थी, बजट सत्र के दो हिस्सों के बीच भी इसके लिए समय निकाला जा सकता था। फिर राहुल बाबा ने अवकाश के लिए यही वक्त क्यों चुना, जब संसद का बजट सत्र शुरू हो रहा था। सोनिया गांधी के बाद राहुल  बाबा ही कांग्रेस के सबसे प्रमुख नेता हैं, लोकसभा चुनाव में वही पार्टी का चेहरा भी थे। पेंच यही है |राहुल बाबा जिस दिशा में पार्टी को ले जाना चाहते हैं उसके लिए पार्टी का एक धड़ा तैयार नहीं है? पार्टी को संघर्ष की योजना भी बनानी है, गठजोड़ और रणनीति की बाबत भी नए सिरे से सोचना है। अप्रैल में संभावित पार्टी के अगले अधिवेशन के मद्देनजर सांगठनिक पुनरुद्धार और पुनर्गठन के सवाल तो उसके सामने हैं ही। हो सकता है राहुल बाबा का लौटना पार्टी की उम्मीदों के अनुरूप हो, यानी वे नई कार्य-योजना और नई रणनीति की रूपरेखा के साथ लौटें। लेकिन उसके पहले ही दोनों धड़े रायता फैला देंगे| बहुत अक्लमंद है, इस पार्टी में|

लेखक श्री राकेश दुबे वरिष्ठ पत्रकार एवं स्तंभकार हैं।
संपर्क  9425022703
rakeshdubeyrsa@gmail.com

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