श्योपुर। श्मशान में मानसिक विक्षिप्त महिला ने एक बच्ची को जन्म दिया। आधी रात को श्मशान में गूंजी किलकारियां कुछ ही देर में हमेशा-हमेशा के लिए खामोश हो गईं। कड़ाके की ठंड में नवजात लाडो की आंखे खुलने से पहले ही सांसों की डोर टूट गई। बच्ची के शव को पास रखकर महिला रातभर श्मशाम में ही बैठी रही। सुबह ग्रामीणों को पता चला तो मासूम के शव को उसी श्मशान में दफना दिया जहां उसने जन्म लिया।
आत्मा को झकझोर देने वाली यह घटना बीती रात जिला मुख्यालय से करीब 25 किलोमीटर दूर आवदा गांव की है। प्रसूता महिला की भी हालत नाजुक हौर वह फिलहाल जिला अस्पताल में भर्ती है।
आवदा गांव के कुछ ग्रामीण शनिवार की सुबह 06 बजे के करीब शौच के लिए गए हुए थे। इसी दौरान कुछ लोगों की नजर श्मशान में लेटी एक महिला पर पड़ी। पास जाकर देखा तो महिला के पास एक नवजात भी पड़ा था। खून से सने कपड़े और जमीन देख ग्रामीण पूरा माझरा समझ गए।
उन्होंने तत्काल पुलिस को खबर की। पुलिस ने गांव के चौकीदार मुरारीलाल आदिवासी को मौके पर भेजा। चौकीदार मुरारी ने नवजात को देखा तो वह मृत हालत में था। ग्रामीणों ने महिला से भी पूछताछ की लेकिन, वह एक शब्द भी नहीं बोली।
महिला मानसिक विक्षिप्त के साथ गूंगी भी बताई गई है। इसके बाद तत्काल सूचना एंबुलेंस 108 को दी गई। 108 की टीम मनीष नायक व रघुवीर धाकड़ सुबह 09 बजे आवदा पहुंचे और नाजुक हालत में प्रसूता को जिला अस्पताल ले आए। जहां उसका इलाज जारी है।
कहां से पहुंची, कौन छोड़ गया?
आवदा गांव के चौकीदार मुरारीलाल आदिवासी ने बताया कि इस महिला को आज से पहले कभी भी आवदा गांव में नहीं देखा गया। बकौल चौकीदार आस-पास के 10 गांवों के लोग बुलाकर महिला की पहचान करवाई गई लेकिन, किसी ने भी उक्त महिला को नहीं पहचाना।
इसके बाद कयास लग रहे हैं कि शुक्रवार की शाम या रात के समय कोई व्यक्ति इस विक्षिप्त गर्भवती महिला को आवदा गांव में छोड़ गया है। आवदा पुलिस भी इस बात की पुष्टि कर रही है कि यह महिला इससे पहले कभी भी आवदा या आस-पास के गांव में नहीं दिखी। चूूंकि आवदा जंगली गांव है इसलिए यह संभावना जताई जा रही है कि महिला को किसी वाहन से ही गांव की सीमा के बाहर छोड़ा गया होगा।