महाशिवरात्रि के दिन पड़ रहे हैं तीन महायोग: सबके लिए मंगलकारी

उज्जैन। इस बार 17 फरवरी को महाशिवरात्रि का पर्व कई गुना फल देने वाला रहेगा। क्योंकि यह यह पर्व त्रि-योग में मनेगा। यानी इस दिन तीन महायोग बन रहे हैं। फाल्गुन मास चतुर्दशी मंगलवार के दिन पद्म योग, मानस योग एवं सर्वार्थ सिद्घि जैसे महायोग बन रहे हैं। इसके अलावा तीन का अंक भगवान शिव का अंक होता है। इस दिन श्रवण नक्षत्र के साथ चंद्रमा की उपस्थिति शनि की राशि मकर राशि पर रहेगी। इस दिन त्रियोदशी के रूप में शिव के गणों का आगमन होगा। इस दौरान पूजा अपना प्रभाव दिखाएगी।


ज्योतिषाचार्य पं. विनोद गौतम के अनुसार मंगल की शिवरात्रि मंगलकारी होगी। यह पर्व रात्रि की आराधना का पर्व है जो व्रत एवं उत्सव दोनों की मान्यता रखता है। इस वर्ष त्रियोदशी की तिथि 16 फरवरी को दोपहर 3.46 बजे से शुरू होगी एवं चतुर्दशी 17 फरवरी मंगलवार को दोपहर 12.36 बजे से शुरू होगी। यह पर्व सुबह की त्रियोदशी एवं शाम की चतुर्दशी तिथि में मनाया जाता है।

चार प्रहर में होगी आराधना
17-18 की रात फरवरी की रात 9 बजे पहले आराधना होगी इसके बाद रात 12 बजे, 3 बजे और सुबह 6 बजे हवन आदि होंगे। इस दिन भगवान शिव एवं माता पार्वती का विवाह हुआ था। रात्रिकालीन है रात्रि में महापूजा होगी। व्रत व उत्सव के रूप में यह पर्व मनाया जाता है। धर्माचार्य पंडित विष्णु राजोरिया के अनुसार धर्मशास्त्रों में साल में तीन रात्रियां विशेष होती हैं। इसमें नवदुर्गा की सप्तमी को कालरात्रि, दीपावली को मोहरात्रि एवं शिवरात्रि को महारात्रि होती है।

यह है महत्व
इस पर्व पर महाकाल की आराधना करने से मनुष्य को रोग बाधा और आयु बाधाओं से मुक्ति मिलेगी। शिव पूजन से साढ़े साती और ढाइया से प्रभावित जातकों के लिए भी शुभकर होगा। इस दिन ग्रह प्रवेश, प्रतिमाओं की प्राण प्रतिष्ठा के लिए श्रेष्ठ होगा। भगवान शिव के पूजन से कालसर्प दोष, शनि शांति और विवाह वाधा कारक ग्रहों के प्रभाव में कमी आएगी। सनातन शास्त्रों के अनुसार इस पावन पर्व में भगवान शिव के ज्योर्तिलिंगों में जाकर आराधना करने का विशेष महत्व है। साथ ही इसमें भगवान शिव पूजन, रुद्राभिषेक, पर्थिव शिवलिंग पूजन लाभकारी होंगे।

तीन दिन रहेंगे खास

16 फरवरी को सोम प्रदोषः शिवरात्रि से एक दिन पहले सोम प्रदोष का संयोग बन रहा है। इस दिन महाकाल उपवास रखेंगे।

17 फरवरी को महाशिवरात्रिः मंगल योग में महाशिवरात्रि पर राजाधिराज का विशेष पूजन होगा। मंदिर के गर्भगृह में पुजारी महारूद्राभिषेक होंगे भगवान शिव को फूल तथा फलों से बना सेहरा सजाया जाएगा।

18 फरवरी को बुधावती अमावस्याः शिवरात्रि के अगले दिन बुधावती अमावस्या होगी। बुधवार के दिन अमावस्या होना दोषरहित माना जाता है। इस शुभ संयोग में प्रसिद्घ ज्योतिर्लिंग महाकाल में वर्ष में एक बार तड़के 4 बजे के बजाए दिन में 11 बजे भस्मारती होगी।

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