भोपाल। भारत के प्रधानमंत्री नरेन्द्र भाई मोदी नहीं चाहते कि मप्र में कुछ भी ऐसा हो जो उसे विख्यात और उसके नागरिकों को गर्व करने का अवसर प्रदान करे। सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बावजूद मोदी के अधिकारियों ने मप्र के अधिकारियों को हिदायद दी है कि वो एशियाटिक शेरों के फाइल को दबा दें, क्योंकि ऐसा मोदी चाहते हैं।
एशियाटिक शेरों को लेकर मप्र और गुजरात के बीच रस्साकशी बहुत पुरानी है। एक समय में यह मामला मोदी और शिवराज के बीच प्रतिष्ठा का प्रश्न भी बना। मामला न्यायालय की शरण में गया। दोनों राज्यों की सरकारों ने केस लड़ा और सुप्रीम कोर्ट तक लड़ा और अंतत: जीत मप्र की हुई।
बावजूद इसके गुजरात सरकार एशियाटिक शेरों को मप्र में शिफ्ट करने को तैयार नहीं है। अब जब 2 राज्य लड़ते हैं तो केन्द्र के पास ही जाते हैं अत: मप्र के अधिकारी भी दिल्ली की शरण में गए, लेकिन वहां तो उल्टा ही हो गया।
दिल्ली में कल गुजरात के एशियाटिक शेरो को गुजरात से मध्य प्रदेश भेजने के सम्बन्ध में सुप्रीम कोर्ट के आदेश के तहत बनी वरिष्ठ अधिकारियो की समिति की बैठक हुयी थी, जिसमे केंद्रीय वन एवं पर्यावरण मंत्रालय के अधिकारियो ने मप्र सरकार के वन विभाग के प्रमुख अधिकारियो को साफ़ कहा है की प्रधानमंत्री जी नहीं चाहते की शेर मध्यप्रदेश भेजे जाये अत: इस संदर्भ में कोई भी पत्राचार मप्र सरकार न करे।
ये न केवल मप्र का अपमान है बल्कि सुप्रीम कोर्ट का भी अपमान है। दिल्ली की हार से अभी भी घमंड नहीं टुटा।
अजय दुबे
Founder
Prayatna Environmental Action Group