पेंचवर्क घोटाले में धरना देना पड़ रहा है दिग्विजय सिंह के परिवार को

गुना। राजनीति में कब क्या होगा कहा नहीं जा सकता। एक समय में मध्यप्रदेश पर राज करने वाले राजा दिग्विजय सिंह के परिवारजनों को पेंचवर्क घोटाले में धरने पर बैठना पड़ रहा है। अपने ही इलाके के अफसर अब उनसे कतई नहीं डरते। धरने के बाद भी जांच की कोई प्रक्रिया शुरू नहीं हुई।

क्या है मामला
कांग्रेस नेताओं का आरोप है कि एनएचएआई अधिकारी और ठेकेदारों की सांठगांठ से तीन महीने पहले आगरा-मुंबई राष्ट्रीय राजमार्ग के गुना और ब्यावरा के बीच के 100 किलोमीटर के रास्ते का पेंचवर्क हुआ था। यह पेंचवर्क करीब आठ करोड़ रुपए की लागत से किया जाना बताया गया जबकि वास्तव में यह पेंचवर्क हुआ ही नहीं। पूर्व सांसद लक्ष्मण सिंह एवं विधायक जयवर्धन सिंह का आरोप है कि आठ करोड़ रुपए की लागत से तकनीकी तौर पर 40 किलोमीटर की नई सड़क बनाई जा सकती थी। यही नहीं 100 किलोमीटर पर सपाट उच्च श्रेणी का पेंचवर्क भी हो सकता था।

कांग्रेस नेताओं का कहना है कि इस संबंध में भारत पटवा ने एक आरटीआई लगाई थी लेकिन 17 नवंबर 2014 की इस फाइल पर आज तक जानकारी नहीं दी गई है। अपील अवधि समाप्त होने के पहले घोटाले को दबाने के लिए इसी रोड का नया टेंडर भी जारी कर दिया गया है। कांग्रेस का आरोप है कि दोबारा जिस फर्म को पेंचवर्क का काम दिया गया वही है जिसे पहले पेंचवर्क देना बताया गया था। 21 जनवरी 2015 से फर्म ने काम भी शुरू कर दिया है।

कुल मिलाकर दिग्विजय सिंह के गृह जिले में खुला भ्रष्टाचार हो रहा है। खुद दिग्विजय सिंह कांग्रेस के राष्ट्रीय महासचिव हैं, बेटा जयवर्धन सिंह विधायक है और लक्ष्मण सिंह सांसद रह चुके हैं, भतीजा नगरपालिका अध्यक्ष है, बावजूद इसके सिंह परिवार का प्रभाव इतना सा भी नहीं है कि एक घोटाले पर रोक सकते।

शिवराज के राज में यह हाल केवल दिग्विजय सिंह का नहीं है बल्कि सिंधिया और कमलनाथ की स्थिति भी कुछ ऐसी ही है। ज्योतिरादित्य सिंधिया के खिलाफ हर संभावित जमीन घोटाले को तलाशा जा रहा है। शिवपुरी में स्वीकृत हुआ मेडिकल कॉलेज छीन लिया गया और सिंधिया कुछ नहीं कर पाए। कमलनाथ का कॉलेज भी इसी तरह छीना गया और कमलनाथ भी चुपचाप अपनी दर्दशा को देखते रह गए। दिग्विजय सिंह के परिवार ने तो धरना देने तक की हिम्मत की परंतु सिंधिया और कमलनाथ तो अन्याय के खिलाफ जनता के बीच गए ही नहीं। 



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