प्रसूता कराहती रही नर्सें वाट्सएप पर चैटिंग करती रहीं, धरना, हंगामा

Bhopal Samachar
जगदीश शुक्ला/मुरैना। अस्पतालों में धोखे का धंधा लगातार जारी है। मरीज को पहले तो भर्ती कर लिया जाता है फिर उसकी हालत बिगड़ने तक इंतजार किया जाता है, फिर इलाज के नाम पर की जाती है वसूली। ऐसे मरीजों को डॉक्टर ​केप्टिव पेसेंट कहते हैं। यदि मरीज को रैफर किया जाता है तब भी डाक्टर पर्चे पर एक इशारा करते हैं ताकि अगले डॉक्टर भी समझ जाए मरीज केप्टिव पेशेंस है और इसे दबा के लूटना है। डॉक्टरों का यह षडयंत्र भारत के लिए आतंकवाद से भी ज्यादा खतरनाक है। यहां ऐसा ही एक मामला सामने आया है।


जानकारी के अनुसार गुलफान खांन पत्नी तंजी निवासी जिरैना को उसके परिजन सोमवार को डिलेवरी कराने के लिये जिला चिकित्सालय लेकर आये थे। महिला का परीक्षण कर ड्यूटी पर तैनात नर्सों ने उसे मेटरनिटी वार्ड में भर्ती न करते हुए गैलरी में लेटने की कह दिया। परिजनों के मुताबिक प्रसूता महिला दर्द के मारे परेशान हो रही थी और ड्यूटी पर कार्यरत नर्सें अपने मोबाईलों पर वाट्सएप चैटिंग कर रहीं थीं। परिजन बार बार गिड़गिड़ाते रहे परंतु नर्सों ने ध्यान नहीं दिया। दरअसल यह षडयंत्रपूर्वक किया जा रहा था ताकि मरीज की हालत बिगड़ जाए और उसके परिजनों को लूटा जा सके।


परंतु इस मामले में उल्टा ही हो गया। प्रसूता के परिजन नर्सों की बेरूखी से नाराज हो धरने पर बैठ गए। अस्पताल में धरना आन्दोलन की सूचना पर से मौके पर सुमावली विधायक सत्यपाल सिंह सिकरवार नीटू वहां पहुंच गये और उन्होंने मामले के संबंध में जानकारी प्राप्त की। इस संबंध में जानकारी मिलने के बाद एडीएम विवेक सिंह एवं अन्य अधिकारी भी वहां पहुंच गये और मामले की जानकारी ली।

सामने आया संगठित गिरोह
जिला अस्पताल में धरने के बाद पूरा का पूरा गिरोह सं​गठित होकर सामने आ गया। नर्सों ने उल्टे प्रसूता के परिजनों पर ही दुर्व्यवहार का आरोप लगा दिया। पूरा का पूरा अस्पताल प्रबंधन नर्सों के समर्थन में उनके साथ था। दरअसल यह इसलिए किया गया ताकि नर्सों के खिलाफ कोई कार्रवाई ना हो जाए। क्योंकि यदि नर्सों के खिलाफ कार्रवाई हो गई तो वो सारी पोल खोल सकतीं थीं।

फिर जीते जल्लाद
ऐसे मामलों में सामान्यत: पीड़ितों को न्याय नहीं मिल पाता। डॉक्टरों का तेजी से संगठित हो जाना प्रशासन पर दवाब का काम करता है और अंतत: पीड़ित अकेला पड़ जाता है। इस मामले में भी ऐसा ही हुआ। विधायक और प्रशासनिक अधिकारी कुछ नहीं कर पाए। प्रसूता का इलाज नहीं किया गया और उसे ग्वालियर रैफर कर दिया गया।

दलाली ना दो तो हाथ तक नहीं लगातीं नर्सें
जिला चिकित्सालय में अब्यवस्थाओं के कारण मरीजों को आये दिन परेशानी का सामना करना पड़ता है। मेटरनिटी में भी आये दिन होने बाले विवाद की बजह यहां प्रत्येक डिलेबरी पर नर्सों द्वारा की जाने वाली बसूली है। जानकार बताते हैं कि अस्पताल में दलाल टाईप के कुछ लोग सक्रिय हैं। इसकी जानकारी अस्पताल प्रबंधन को भी है,लेकिन प्रबंधन जान बूझकर इनके खिलाफ कार्यवाही नहीं करता है। 

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