नई दिल्ली। दिल्ली विधानसभा चुनाव में बीजेपी ने जिस जोर शोर से किरन बेदी को सीएम पद का उम्मीदवार बनाकर मैदान में उतारा, लगता है वो दांव उल्टा बैठ गया है। नरेंद्र मोदी की लहर पर सवार बीजेपी जिस चुनाव को चुटकी में जीतने का सपना पाले बैठी थी, उसे किरन बेदी की अगुवाई का ज्यादा फायदा नहीं मिला। यही वजह है कि दिल्ली फतह करने के लिए बीजेपी ने पूरी ताकत झोंकते हुए कई मुख्यमंत्रियों, केंद्रीय मंत्रियों, सांसदों को मैदान में उतारा।
बीजेपी के लिए नरेंद्र मोदी आखिरी समय में 4 ताबड़तोड़ रैलियां कीं। बीजेपी किरन बेदी को मैदान में उतारकर अरविंद केजरीवाल पर हावी होने की कोशिश में थी, लेकिन उसे लोगों का मनमुताबिक रिस्पांस नहीं मिला। यही वजह है कि खुद बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह को ही अरविंद केजरीवाल के खिलाफ मोर्चा खोलना पड़ा।
अमित शाह की कोशिश है कि सभी बड़े नामों को प्रचार के लिए मैदान में उतारकर वो बीजेपी को जीत दिलाएं। इसके लिए वो एमपी के सीएम शिवराज सिंह चौहान को भी मैदान में उतार चुके हैं, तो पूर्वांचली वोटरों में पहचान रखने वाले मनोज तिवारी भी ताबड़तोड़ रैलियां कर चुके हैं। खुद अमित शाह प्रेस कांफ्रेंस कर अपनी बात रखते रहे। वहीं, किरन बेदी के बयानों से नुकसान पहुंचता देख बीजेपी आलाकमान ने उन्हें चुप कराना ही बेहतर समझा।
लोगों का कहना है कि किरन बेदी बीजेपी को फायदा तो पहुंचा रही हैं, लेकिन बड़े तबके में उनके खिलाफ गुस्सा भी है। छोटे दुकानदार और रेहड़ी पटरी वाले किरन के नाम से डरे हुए हैं। किरन बेदी यूं तो कानून व्यवस्था पर काम करने की बात कहती हैं, लेकिन रेहड़ी पटरीवालों को डर है कि कहीं कानून व्यवस्था और सफाई के नाम पर उनके पेट पर लात न लग जाए।
क्रेन बेदी के ये नुक्सान सामने आते ही भाजपा ने बेदी को महिला सुरक्षा की कमान थमा दी, तो केजरीवाल की पोल-खोल के लिए खुद अमित शाह लोगों तक पहुंचने की कोशिश करते रहे। पीएम नरेंद्र मोदी भी सीधे अरविंद केजरीवाल पर हमलावर रहे।
अब देखना यह है कि मोदी समेत पूरे देशभर की भाजपा और संघ की ताकत झोंक देने के बाद दिल्ली की जनता क्या प्रतिफल देती।