कलेक्टर को नहीं हटा पाया चुनाव आयोग, एकजुट हुए अफसर

Bhopal Samachar
रायपुर। चुनाव आयोग ने दंतेवाड़ा कलेक्टर केसी देव सेनापति पर पक्षपात का आरोप लगाते हुए उन्हें हटाए जाने की सिफारिश तो कर दी परंतु उनकी सिफारिश पर छग शासन ने कोई कार्रवाई नहीं की। तिलमिलाए चुनाव आयोग ने कलेक्टर से चुनावी प्रभार छीन लिया और जिला पंचायत के सीईओ को सौंप दिया। किसी कलेक्टर से जिला निर्वाचन अधिकारी का प्रभार छीनने का यह राज्य में पहला मामला है।

याद दिला दें कि मनरेगा में श्रेष्ठ काम करने के बाद सम्मानित किए जाने हेतु कलेक्टर केसी देव सेनापति को दिल्ली बुलाया गया था। इस हेतु चुनाव आयोग को सूचना भी दी गई थी। आयोजन शासकीय था एवं गैरराजनैतिक परंतु राज्य निर्वाचन अधिकारी ने कलेक्टर को इसकी अनुमति नहीं दी। कलेक्टर ने सामान्य प्रशासन विभाग से अनुमति प्राप्त की और कार्यक्रम में चले गए।

बस फिर क्या था राज्य निर्वाचन अधिकारी पीसी दलेई तमतमा उठे और पुरस्कार लेकर लौटे कलेक्टर को आनन फानन नोटिस थमा डाला। कलेक्टर ने समयावधि में इसका जवाब भी दिया परंतु पीसी दलेई जवाब से संतुष्ट नहीं हुए और उन्हें हटाने की सिफारिश कर डाली। सिफारिश में पीसी दलेई ने यह भी लिखा कि कलेक्टर सेनापति के रहते निष्पक्ष चुनाव संभावित नहीं है।

बस इसी के चलते सारी सद्भावनाएं कलेक्टर सेनापति की ओर चली गईं। छग की आईएएस लॉबी भी पीसी दलेई की इस टिप्पणी के खिलाफ हो गई और तय किया गया कि चुनाव आयोग की सिफारिश को स्वीकार नहीं किया जाएगा। अंतत: हुआ भी यही।

तिलमिलाए चुनाव आयोग ने कलेक्टर से चुनाव कार्य का प्रभार छीन लिया और सीईओ जिला पंचायत को जिला निर्वाचन अधिकारी का प्रभार सौंप दिया।

कुल मिलाकर पहली बार हुआ कि शासन स्तर के अधिकारियों ने चुनाव आयोग को उसकी हदें याद दिला दीं। चुनाव तत्काल के नाम पर अब मनमानी स्वीकार नहीं की जाएगी। सनद रहे कि मध्यप्रदेश के राजगढ़ जिले में भी चुनाव आयोग के एक अधिकारी की मनमानी के चलते एक महिला पुलिस अधिकारी ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया था। इस मामले में मप्र पुलिस मुख्यालय वह भूमिका नहीं निभा पाया था जो दंतेवाड़ा कांड में रायपुर ने निभाई है।

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