भोपाल। देश के सरकारी स्कूलों में शिक्षकों के काम के दौरान गायब रहने के किस्से हरगिज नये नहीं हैं लेकिन, मध्य प्रदेश के प्रमुख शहर इंदौर में चार शिक्षिकाओं ने तो जैसे गैरहाजिरी के सारे रिकॉर्ड ही तोड़ दिये हैं। इन शिक्षिकाओं में शामिल एक व्याख्याता अपनी 25 साल की सरकारी नौकरी के दौरान 21 वर्ष का लम्बा अरसा लगातार गैरहाजिरी में गुजार चुकी हैं।
शिक्षा विभाग के एक अधिकारी ने आज बताया कि विभागीय जांच में दोषी पाये जाने के बाद महकमे के संयुक्त संचालक डॉ. कौशल किशोर पाण्डे ने चारों शिक्षिकाओं को सेवा समाप्ति का नोटिस भेजा है। उन्होंने बताया कि चारों शिक्षिकाओं का लम्बे वक्त तक बिना सूचना के ड्यूटी से अनधिकृत तौर पर अनुपस्थित रहना मध्य प्रदेश सिविल सेवा आचरण नियम के तहत ‘गंभीर कदाचरण’ की श्रेणी में आता है।
अधिकारी ने बताया कि चारों शिक्षिकाओं को सेवा समाप्ति का नोटिस जारी कर अपना पक्ष रखने के लिये आखिरी मौका दिया गया है। अगर उन्होंने सात दिन के भीतर इस नोटिस का जवाब नहीं दिया, तो उनकी सरकारी सेवा खत्म मान ली जायेगी और उन्हें पेंशन व अन्य संबंधित भुगतानों की पात्रता नहीं होगी।
लंबे समय से अनधिकृत रूप से अनुपस्थित शिक्षिकाओं की फेहरिस्त में शासकीय अहिल्या आश्रम विद्यालय क्रमांक-1 की व्याख्याता संगीता कश्यप शामिल हैं। वह वर्ष 1994 से इस स्कूल से बगैर किसी सूचना के गायब हैं। संगीता ने वर्ष 1990 में शिक्षिका के रूप में सरकारी नौकरी शुरू की थी।
शासकीय अहिल्या आश्रम विद्यालय क्रमांक-1 की ही उच्च श्रेणी शिक्षिका रचना दुबे वर्ष 2006 से अनधिकृत रूप से अनुपस्थित हैं। खजराना क्षेत्र के शासकीय बालक उच्चतर माध्यमिक विद्यालय की उच्च श्रेणी शिक्षिका विजयलक्ष्मी राय वर्ष 2000 से इस स्कूल में उपस्थित नहीं देखी गयी हैं, तो विजय नगर स्थित शासकीय उच्चतर माध्यमिक विद्यालय की उच्च श्रेणी शिक्षिका सोनाली गुप्ता वर्ष 2007 से अनधिकृत रूप से गैरहाजिर हैं।
सामाजिक कार्यकर्ता चिन्मय मिश्र ने कहा, ‘जब इंदौर जैसे बड़े शहर के शासकीय विद्यालयों में शिक्षकों की गैरहाजिरी का यह आलम है, तो सहज ही अंदाजा लगाया जा सकता है कि इस सिलसिले में ग्रामीण क्षेत्रों में स्थिति कैसी होगी जहां सरकार स्कूली शिक्षा पर हर साल करोड़ों रुपये खर्च करती है।’
उन्होंने शिक्षा विभाग के निगरानी तंत्र की भूमिका पर सवाल उठाते हुए मांग की कि इस बात की जांच होनी चाहिये कि चारों शिक्षिकाएं बरसों से लगातार अनुपस्थित रहने के बावजूद अब तक सरकारी सेवा में कैसे बनी रहीं। इस जांच में दोषी पाये जाने वाले विभागीय अधिकारियों के खिलाफ सख्त अनुशासनात्मक कार्रवाई होनी चाहिये।