दिल्ली विधानसभा में पहला सवाल: मीडिया की स्वतंत्रता पर पाबंदी क्यों लगाई

shailendra gupta
आशुतोष झा/नई दिल्ली। विधानसभा चुनाव में भारतीय जनता पार्टी को मिली करारी हार का असर सोमवार को सदन में भी दिखाई दिया। विधानसभा की सदस्यता लेने पहुंचे भाजपा विधायकों को आम आदमी पार्टी के विधायकों की भारी संख्या के बीच अपनी मौजूदगी दर्ज कराना भारी पड़ रहा था। आलम यह था कि पार्टी विधायक दल के नेता विजेंद्र गुप्ता अपनी बात रखने के लिए और समय देने का अनुरोध करते रहे, लेकिन विधानसभा अध्यक्ष रामनिवास गोयल ने उन्हें 30 सेकेंड भी नहीं दिए।

विरोध स्वरूप विजेंद्र गुप्ता सदन की बैठक समाप्त होने तक अपनी बात रखने के लिए खड़े रहे। निर्धारित समय के अनुसार सोमवार दोपहर दो बजे दिल्ली विधानसभा में नवनिर्वाचित विधायकों के शपथ का कार्यक्रम शुरू हुआ। साढ़े तीन बजे तक शपथ ग्रहण कार्यक्रम संपन्न हुआ।

इसके बाद विधानसभा अध्यक्ष व उपाध्यक्ष का चुनाव हुआ। तब तक प्रोटेम स्पीकर के रूप में विधानसभा की कार्यवाही का संचालन कर रहे विधायक चौ. फतेह सिंह ने नए अध्यक्ष रामनिवास गोयल का स्वागत कर उन्हें कुर्सी तक लाने का जिम्मा मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल व भाजपा विधायक दल के नेता विजेंद्र गुप्ता को सौंपा। ये दोनों गर्मजोशी से नए अध्यक्ष को कुर्सी तक लाए।

विधानसभा अध्यक्ष का अभिनंदन करने तथा सदन की कार्यवाही में हरसंभव सहयोग देने की बात कहते हुए विजेंद्र गुप्ता अपनी सीट से उठे और गोयल से अपनी बात कहने के लिए दो मिनट देने की मांग की। अध्यक्ष ने तुरंत इजाजत दे दी।

विजेंद्र गुप्ता ने कहा कि नई सरकार के गठन के बाद जिस तरह सचिवालय में मीडिया के प्रवेश पर सशर्त पाबंदी लगा दी गई, इससे स्पष्ट है कि सरकार तानाशाह के रूप में काम कर रही है। उन्होंने कहा कि इस तरह का तुगलकी फरमान सरकार के अहंकार को दिखाता है।

गुप्ता के इतना कहते ही विधानसभा अध्यक्ष रामनिवास गोयल ने कहा कि आज पवित्र दिन है। छठी विधानसभा के चुने गए सदस्यों ने आज शपथ ली है, भाजपा नेताओं को अपनी बात रखने का आगे मौका मिलेगा। ऐसे मौके पर किसी तरह की शिकायत ना रखें।

इस शोर-शराबे के बीच विजेंद्र गुप्ता ने अध्यक्ष से महज 30 सेंकेंड और अपनी बात रखने के लिए मांगे। उन्होंने कहा कि ‘मैं हाथ जोड़ता हूं, सिर झुकाते हुए निवेदन करता हूं अपनी बात रखने के लिए दो मिनट नहीं, 30 सेंकेंड ही दे दिए जाएं।’ मगर विधानसभा अध्यक्ष ने उन्हें इसकी इजाजत नहीं दी। इसके बाद विधानसभा उपाध्यक्ष चुनने की औपचारिकता पूरी की गई।

विजेंद्र गुप्ता ने कहा कि सदन की पहली बैठक में भाजपा विधायकों के साथ जो व्यवहार किया गया वह निंदनीय है। विपक्ष का उपहास किया गया। उपाध्यक्ष के चुनाव में विपक्ष को शामिल नहीं किया गया। यह बताता है कि 70 सदस्यीय सदन में तीन लोग भारी पड़ रहे हैं। आम आदमी पार्टी के नेताओं का रवैया बता रहा है कि वह दिल्ली में लोकतंत्र को समाप्त करना चाहते हैं।'

रामनिवास गोयल ने कहा ‘पहले दिन मुद्दे नहीं उठाए जाते। नवनिर्वाचित विधायकों ने शपथ ली, सदन में खुशी का माहौल था। ऐसे में शिकायत करना शोभा नहीं देता। शिकायत रखने के मौके आगे भी आएंगे। भाजपा विधायकों को अपनी बात रखने का मौका मिलेगा।'

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