लाड़कुई। यहां एक ग्रामीण को स्वप्न में बार बार माता आतीं थीं, वो बताती थीं कि उनकी एक प्रतिमा जमीन में है उसे बाहर निकाले, जब ग्रामीणों की खुदाई की तो वहां सचमुच स्वर्णधातु की कालीमाई की प्रतिमा निकली, जैसे ही प्रशासन को इसकी जानकारी मिली, तहसीलदार आ धमके और प्रतिमा को जब्त कर ले गए।
ग्रामीणो के अनुसार ग्राम पाॅचोर के निवासी बृजेश मीना को दो माह से प्रति दिन स्वप्न में माॅ काली दर्शन देती ओर कहती की तुम मुझे निकाल लो मैं यहाॅ पर हूॅ। इस बात की जानकारी जब उसने गामीणो को बताई तो ग्रामीणो ने उस पर विश्वास न करते हुए काफी दिनो तक टालमटोल करते रहे लेकिन जब आज सुबह उसने पुनः ग्रामीणो को स्वप्न की बाते कही ओंर उसके साथ उसने कहाॅ की माॅ काली ने मुझे आदेश दिया कि तुम एक नारियल अपने हाथो में लेकर नदी पार वाली पहाडी की ओर जाओ और जिस स्थान पर यह नारियल गिर जायें। वहाॅ पर खुदाई करना मै मुर्ती रूप में प्रगट हो जाउॅगी।
इतनी बाते जब ग्रामीणो के सामने बोली तो सुबह तकरीवन 200 ग्रामीण बृजेश मीना के साथ पहाडी की ओर चलने लगे। सभी ग्रामीण बृजेश मीना के पीछे पीछे आधी पहाडी पर चड गये कि अचानक हाथो से नारियल गिर गया। जहाॅ नारियल गिरा वह स्थान सुखी घास से घिरा हुआ था ग्रामीणो द्वारा पहाडी की घास को खोदा तो वहाॅ माॅ काली की स्वर्णमय मूर्ती निकली जिसको देखकर ग्रामीण अचरज में पड गये ओर माॅ काली के जयकारे लगाने लगे।
तहसीलदार ने की कार्यवाही
तभी किसी ग्रामीण द्वारा तहसीलदार नसरूल्लागंज को खबर कर दी। जिसपर तहलीसदार ने अपने दलबल के साथ पहुॅचकर माॅ काली की मूर्ती के साथ साथ बुजेश मीना व अन्य ग्रामीणो को थाना नसरूल्लागंज लाकर ग्रामीणो से पुछताछ की। ग्रामीणो का कहना था कि मूर्ती सोने की है जिसकी जाॅच कराकर तहसीलदार द्वारा माॅ काली की मूर्ती को अपने कब्जे में कर तहसील कार्यालय में लाकर रखवा दी गई है।
ग्रामीणो ने दी जानकारी
ग्रामीणो का मानना है कि स्वप्न के बारे में अन्य दूसरे आदिवासी ग्रामीण द्वारा भी बताया गया था कि माॅ काली ने स्वप्न में आकर खोदने की बात कही है। वही ग्राम के लोगो का कहना है कि पूर्व में यहा एक झरना वहता था जिसका पूरे साल पानी खत्म नही होता था ग्रामीणो की आस्था थी के यह झरना माॅ गंगा का स्वरूप है इस स्थान को पाॅचोर क्षेत्र वासी गंगा खो के नाम से जानते है ओर किसी भी व्यक्ति को देवी-देवता आता था तो नीर लेने के लिये इसी स्थान पर लाया जाता था। इस कारण से इस स्थान का नाम गंगाखो पड गया।