नईदिल्ली। लोकसभा चुनाव में उत्तर प्रदेश में एक भी सीट ना जीतने के बाद बहुजन समाज पार्टी को अपना राष्ट्रीय पार्टी का दर्ज़ा बचाने के लिए दिल्ली विधान सभा चुनाव में कम-से-कम दो सीट और 6 प्रतिशत वोट पाना ज़रूरी था लेकिन ऐसा नहीं हुआ। 10 फ़रवरी को दिल्ली चुनाव के नतीज़ों के बाद बसपा का राष्ट्रीय स्तर की पार्टी बने रहना ख़तरे में पड़ गया है।
बसपा ने दिल्ली की सभी 70 सीटों पर अपने उम्मीदवार खड़े किए थे लेकिन ये सभी प्रत्याशी हार गए. बसपा को मात्र 1.3 प्रतिशत वोट मिले. बसपा को मिलने वाले कुल वोटों की संख्या 117124 थी। ऐसे में चुनाव आयोग की ओर से बसपा को राष्ट्रीय स्तर की पार्टी के रूप में मान्यता वापस लेने की बात फिर उठ गई है।
चुनाव आयोग के एक अधिकारी ने बताया कि बसपा के राष्ट्रीय पार्टी होने की मान्यता पर दिल्ली चुनाव के नतीज़ों के बाद निर्णय लिए जाने की बात हुई थी लेकिन अभी उसके लिए कोई समय नहीं तय किया गया है।
लोकसभा चुनाव के बाद ही चुनाव आयोग ने बसपा को उसका राष्ट्रीय पार्टी का दर्ज़ा वापस लेने के लिए नोटिस दिया था लेकिन मायावती ने दिल्ली चुनाव तक का समय मांगा था। किसी भी राजनीतिक दल को राष्ट्रीय स्तर की पार्टी बनने के लिए ज़रूरी है कि वो लोकसभा चुनाव में तीन अलग-अलग राज्यों में कम से कम 11 सीट जीते। साथ ही लोकसभा चुनावों के अलावा कम से कम चार विधान सभा चुनावों में कुल वैध मतों के 6 प्रतिशत वोट और चार संसदीय सीट जीतना अनिवार्य है।
लोक सभा चुनाव के बाद महाराष्ट्र, हरियाणा, झारखंड और जम्मू-कश्मीर में भी बसपा को एक भी सीट नहीं मिली थी। उत्तर प्रदेश विधान सभा में नेता विरोधी पक्ष, बसपा के स्वामी प्रसाद मौर्य ने कहा, "उनका दल चुनाव आयोग से एक और मौका मांगेगा. लेकिन अंतिम निर्णय तो आयोग का ही होगा।"