CBSE में बंद होगा CCE पैटर्न

इंदौर। सीबीएसई अब 9वीं और 10वीं में कंटीन्युअस एंड कॉम्प्रिहेंसिव एजुकेशन (सीसीई) पैटर्न बंद करने पर विचार कर रहा है। सीसीई के रिव्यू को लेकर पिछले दिनों बुलाई गई देशभर के शिक्षाविदों की मीटिंग में यह मुद्दा जोर-शोर से उठा था। सहोदय नेशनल कॉन्फ्रेंस के दौरान भी प्रिंसिपल्स लगातार बोर्ड से 9वीं कक्षा में सीसीई पैटर्न बंद करने की मांग करते आ रहे हैं। सूत्रों का कहना है कि सीसीई के संबंध में मिले फीडबैक के बाद बोर्ड नए शिक्षा सत्र से इसे बंद करने पर लगभग सहमत हो गया है। इस साल नए चेयरमैन की नियुक्ति के बाद इसे 8वीं तक सीमित करने की घोषणा हो सकती है।

लगातार बोर्ड से कर रहे हैं मांग
दो साल पहले इंदौर में हुई सहोदय नेशनल कॉन्फ्रेंस के दौरान शहर के प्रिंसिपल्स ने तत्कालीन चेयरमैन विनीत जोशी के सामने 9वीं से सीसीई पैटर्न और 10वीं लोकल एग्जाम बंद करने की मांग की थी। इस मांग के पीछे कारण था कि किसी प्रकार की सख्ती नहीं होने और आसानी से पास होने के कारण स्टूडेंट्स पढ़ाई पर फोकस नहीं कर रहे हैं, जिसका खामियाजा उन्हें 11वीं में उठाना पड़ता है। इसके बाद पिछले साल अमृतसर और कोच्ची में हुई नेशनल कॉन्फ्रेंस के दौरान भी देशभर के प्रिंसिपल्स ने यह मांग दोहराई थी। देशभर से मिले फीडबैक के बाद बोर्ड इसे बंद कर सकता है।

10वीं तक हो गया अघोषित जनरल प्रमोशन
इंदौर सहोदय ग्रुप के ज्वांइट सेक्रेटरी मनोज वाजपेयी कहते हैं आरटीई के तहत 8वीं कक्षा तक बच्चों को फेल नहीं किया जा सकता। 9वीं और 10वीं कक्षा में आने के बाद भी सीसीई पैटर्न के तहत स्टूडेंट्स के 100 मार्क्स साल भर में होने वाले चार फॉर्मेटिव असेसमेंट और दो समेटिव असेसमेंट में बंट जाते हैं। बोर्ड के निर्देश हैं कि फॉर्मेटिव असेसमेंट में बच्चे को उन एक्टिविटीज से जोड़ा जाए, जिनमें वह अच्छा है। इससे बच्चे बिना समेटिव असेसमेंट दिए ही पास हो जाते थे। पिछले साल से बोर्ड ने समेटिव असेसमेंट में 25 प्रतिशत अंक अनिवार्य कर दिए हैं, जिससे थोड़ा फायदा हुआ है परंतु स्थिति अब भी खराब है। 11वीं में आने के बाद जब इनके सामने मोटी-मोटी किताबें और लेंदी कोर्स आता है तो ये बच्चे उसे हैंडल नहीं कर पाते। अच्छे बच्चे तो पास हो जाते हैं पर एवरेज स्टूडेंट्स का परसेंटेज बिगड़ जाता है। वहीं बिलो-एवरेज स्टूडेंट्स फेल हो जाते हैं। इसे सुधारने के लिए ही 9वीं से सीसीई बंद करने की मांग की जा रही है।

बैलेंस है जरूरी
इंदौर सहोदय ग्रुप की एक्जीक्यूटिव मेंबर संगीता उप्पल कहती हैं 9वीं क्लास में सीसीई पैटर्न हटाने के बाद जो फेल परसेंट अभी हमें 11वीं में दिखाई दे रहा है वह 9वीं से होने लगेगा। इससे बच्चों पर प्रेशर बढ़ेगा और वे पढ़ाई पर ध्यान देंगे। बोर्ड ने अभी कोर्स को दो सेमेस्टर में बांट रखा है यदि इसमें एक सेमेस्टर सीसीई का कर दिया जाए, तो बच्चों पर प्रेशर भी कम होगा और उन्हें कोर्स की पढ़ाई की आदत भी पड़ने लगेगी। बोर्ड को बैलेंस बनाना होगा ताकि बच्चे की ओवरऑल ग्रोथ हो पाए।

ये कहते हैं बोर्ड के देशभर के आंकड़े

10वीं 2013 एग्जाम
कुल परीक्षार्थी- 91,6194
पास परीक्षार्थी- 91,0351
पास प्रतिशत- 99.63

10वीं 2014 एग्जाम
कुल परीक्षार्थी- 13,21124
कुल पास परीक्षार्थी- 13,09973
पास प्रतिशत- 99.15

12वीं 2013 एग्जाम
कुल परीक्षार्थी- 88,8715
कुल पास परीक्षार्थी- 72,9617
पास प्रतिशत- 82.10

12वीं 2014 एग्जाम
कुल परीक्षार्थी- 96,7993
कुल पास परीक्षार्थी- 80,0100
पास प्रतिशत- 82.66

(आंकड़े सीबीएसई की वेबसाइट पर प्रस्तुत 2013 और 2014 के देशव्यापी रिजल्ट से प्राप्त)

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