भोपाल। यदि कोई स्कूल संचालक किसी महिला का दुपट्टा खींच ले तो देशव्यापी आंदोलन हो सकता है लेकिन यदि वही स्कूल संचालक अपने स्टूडेंट्स के पेरेंट्स को लगातार लूटता रहे तो कोई कुछ नहीं कहता। हम यह नहीं कह रहे कि महिला सुरक्षा पर संवेदनशील नहीं होना चाहिए परंतु हम यह कहना चाहते हैं कि लुटेरों को भी तो जवाब दिया जाना चाहिए।
मामला सीबीएसई स्कूलों में चल रही मनमानियों का है। बेलगाम प्रबंधन, मनमानी फीस और स्टेशनरी में 200 प्रतिशत तक का कमीशन। पूरे प्रदेश में 1000 करोड़ के आसपास का काला कारोबार, लेकिन ना कोई लगाम और ना कोई आवाज उठाने वाला। इंदौर से प्रकाशित नईदुनिया ने इस मुद्दे को ना केवल उठाया बल्कि अभियान भी चलाया और अब वो नतीजों के नजदीक पहुंच चुका है।
एक बार फिर शिक्षामंत्री वचनबद्ध हुए हैं कि इन स्कूलों पर लगाम के लिए कमेटी बनाई जाएगी। मंत्री महोदय ने लास्ट डेट भी घोषित की है 15 मार्च।
सवाल- आपके अनुसार निजी स्कूलों को कैसा होना चाहिए?
जवाब- निजी स्कूलों को ए क्लास यानी बहुत बेहतर सुविधाओं वाला लेकिन ट्रस्ट के अधीन होना चाहिए। इससे स्कूल को लाभ का नहीं बल्कि बच्चों के भविष्य निर्माण का माध्यम बनाया जा सकेगा। हमने नासिक में ऐसे स्कूल देखें हैं, जो बहुत कम फीस पर वर्ल्ड क्लास सुविधा देते हैं। वहां ट्रस्ट ईमानदार हैं।
सवाल- क्या आप मानते हैं कि सीबीएसई स्कूल मनमानी फीस वसूलते हैं?
जवाब-हां, यह सही है कि सीबीएसई निजी स्कूल बिना अनुमति फीस बढ़ा देते हैं।
सवाल- आपने अंकुश क्यों नहीं लगाया?
जवाब- हम अंकुश लगाने के लिए फीस नियामक कमेटी बनाने जा रहे हैं। इसके लिए केंद्रीय मंत्री से भी मुलाकात करेंगे।
सवाल-कमेटी कब तक और कैसे बनाएंगे?
जवाब-15 मार्च तक कमेटी पर फैसला ले लिया जाएगा। इसके लिए सर्कुलर निकाला जा रहा है। हम कमेटी बनाकर स्कूलों को तीन कैटेगरी में बांटेंगे। पहली कैटेगरी में वे स्कूल आएंगे, जो बेहतर सुविधाएं देते हैं। इसी तरह सुविधाओं के हिसाब से बी और सी कैटेगरी बनाएंगे और उसी हिसाब से फीस का निर्धारण करेंगे। स्कूल की कैटेगरी और फीस का निर्धारण स्कूल नहीं, कमेटी करेगी।
सवाल- सीबीएसई स्कूलों की किताबों पर कमीशनखोरी कैसे रोकेंगे?
जवाब- एकेडमिक कमेटी बनाएंगे। राजस्थान में ऐसी कमेटी है। मनचाहे पब्लिशर्स और राइटर्स पर भी अंकुश लगाएंगे। कमेटी किताबों की क्वालिटी देखेगी और किताबों की कीमत तय करेगी। किसी भी स्थिति में एनसीईआरटी की बुक्स से 10 फीसदी से ज्यादा महंगी किताबों को स्वीकार नहीं किया जाएगा।
सवाल- आपको लगता है कि सीबीएसई स्कूल मान जाएंगे?
जवाब - स्कूल नहीं मानेंगे तो एमपी बोर्ड की तरह सिलेबस के अनुसार सीबीएसई की किताबें सरकार छापकर देगी। चाहे जो हो, समस्या सामने आ गई है तो समाधान करेंगे ही।
सवाल- डायरी, लोगो, ड्रेस पर कमीशनखोरी का क्या करेंगे?
जवाब- किसी भी स्थिति में डायरी 50 स्र्पए से ज्यादा की नहीं होना चाहिए। लोगो को प्रतिबंधित करने जा रहे हैं।
सवाल-आपकी कमेटी बनने तक तो स्कूल इस साल फिर से फीस वसूल लेंगे और किताबों का निर्धारण भी कर देंगे?
जवाब-इसके लिए शिक्षा आयुक्त डीडी अग्रवाल को आदेशित किया गया है कि स्कूलों की मनमानी न चलने दें। साथ ही सभी कलेक्टरों को भी स्कूलों की मनमानी रोकने के निर्देश दे रहे हैं।
सीबीएसई स्कूल संचालकों की मनमानी के खिलाफ इंदौर हाईकोर्ट में याचिका दायर
सीबीएसई स्कूलों को कमाई का धंधा बनाने के खिलाफ इंदौर हाईकोर्ट में सोमवार को याचिका दायर की गई। याचिकाकर्ता सहयोग सेवा समिति के विजय दुबे ने नईदुनिया में प्रकाशित 9, 10, 11 और 13 फरवरी की खबरों को आधार बनाया है। याचिका में स्कूलों की मनमानी फीस वसूली, स्कूलों से कमाई करके दूसरे धंधे करने, किताबों व ड्रेस में कमीशन खाने को लेकर केंद्र सरकार और राज्य सरकार को प्रतिवादी बनाया है। प्रतिवादियों में सचिव मानव संसाधन विकास मंत्रालय, सचिव मप्र सरकार, शिक्षा मंत्री पारस जैन, स्कूली शिक्षा राज्य मंत्री दीपक जोशी, कलेक्टर इंदौर, सहोदय ग्रुप आदि शामिल हैं।
याचिकाकर्ता दुबे का कहना है कि ये हर आम आदमी से जुड़ा मुद्दा है लेकिन जब सरकार सुनवाई नहीं कर रही तो कोर्ट से ही न्याय मिलेगा। याचिका पर संभवत: अगले सप्ताह सुनवाई हो सकती है। उल्लेखनीय है कि नईदुनिया की खबरों पर जबलपुर हाईकोर्ट में 13 फरवरी को एडव्होकेट रवींद्र श्रीवास्तव ने भी याचिका दायर कर सीबीएसई स्कूलों पर नकेल कसने का आग्रह किया था। इस मामले की सुनवाई इस सप्ताह होने की संभावना है।