रायपुर। छत्तीसगढ़ ने तीसरी बार आईपीएस कॉडर बढ़ाने की तैयारी तो कर ली है लेकिन प्रस्ताव पर कछुवा चाल की वजह से छत्तीसगढ़, मध्यप्रदेश से पिछड़ गया है। केन्द्रीय गृह मंत्रालय से लौटा प्रस्ताव महीनों से मंत्रालय में ही अटका हुआ है।
प्राप्त जानकारी के अनुसार दिल्ली में आज शनिवार को मध्यप्रदेश में 291 पदों वाले आईपीएस कॉडर को बढ़ाकर 361 करने के प्रस्ताव पर मंथन हुआ। अब जल्द ही मध्यप्रदेश में आईपीएस कॉडर बढ़ जाएगा। दूसरी ओर, पिछले सालभर से आईपीएस कॉडर बढ़ाने की कोशिश में लगा छत्तीसगढ़ अब पिछड़ गया है। बताया जाता है कि प्रारंभिक प्रस्ताव पर विचार कर केन्द्रीय गृह मंत्रालय ने पिछले वर्ष नवंबर-दिसंबर में एक्स कॉडर के पदों की जानकारी मांगी थी। उस पर राज्य पुलिस मुख्यालय ने जानकारी अपडेट कर प्रस्ताव को मंत्रालय के सामान्य प्रशासन विभाग को भेज दिया था। पिछले साल ही आईपीएस कॉडर को गृह विभाग से अलग कर सामान्य प्रशासन विभाग के अंतर्गत लाया गया है। तब से प्रस्ताव सामान्य प्रशासन विभाग में ही लंबित है, उसे दिल्ली नहीं भेजा गया है। इस संबंध में जानकारी के लिए डीजीपी ए. एन. उपाध्याय और सामान्य प्रशासन विभाग की सचिव निधि छिब्बर से संपर्क करने की कोशिश की गई लेकिन बातचीत नहीं हो सकी।
छग ने मांगे 167 पद
नए प्रस्ताव के अनुसार केन्द्र से छत्तीसगढ़ ने आईपीएस कॉडर के लिए कुल 167 पद मांगे हैं. इसे मंजूरी मिलती है तो छत्तीसगढ़ में यूपीएसपी से चयनित आईपीएस की संख्या 112 और प्रमोटी आईपीएस 55 हो जाएगी. देश में सर्वाधिक नक्सल प्रभावित राज्य होने की वजह से आईपीएस कॉडर बढ़ता है तो इंटर स्टेट कोआॅर्डिनेशन आसान हो जाएगा. आईपीएस के पदों और अधिकारियों की कमी की समस्या से जूझ रहे छत्तीसगढ़ को आईपीएस कॉडर बढ़ने को लेकर काफी उम्मीद है.
SPS कॉडर नाराज
आईपीएस कॉडर बढ़ने का लाभ मौजूदा आईपीएस अधिकारियों को तो मिलेगा ही और उनके लिए पदोन्नति की संभावना बढ़ जाएगी. दूसरी ओर, आईपीएस कॉडर वृद्धि का सर्वाधिक लाभ राज्य पुलिस सेवा (एसपीएस) के अधिकारियों को मिलेगा. प्रमोटी आईपीएस के पद बढ़ने से राज्य पुलिस सेवा के ज्यादा अधिकारी लाभान्वित होंगे. अपने काम का बेहतर प्रदर्शन करने का अवसर राज्य के ही इन अधिकारियों को मिलेगा. ऐसे में आईपीएस कॉडर वृद्धि के प्रस्ताव पर कछुवा चाल से राज्य पुलिस सेवा के अधिकारियों की नाराजगी स्वाभाविक है.