MP PSC के सचिव हाईकोर्ट में हाजिर हों: मामला 1192 अभ्यर्थियों से अन्याय का

जबलपुर। हाईकोर्ट ने पीएससी मुख्य परीक्षा उत्तीर्ण करने वाले छात्रों को साक्षात्कार के लिए आमंत्रित न किए जाने के मामले में मध्यप्रदेश राज्य लोक सेवा आयोग के सचिव को 18 फरवरी तक हर हाल में जवाब पेश करने कह दिया। ऐसा न किए जाने की सूरत में उन्हें आगामी सुनवाई के दौरान स्वयं हाजिर रहने की ताकीद दे दी गई।

मंगलवार को न्यायमूर्ति सुरेन्द्र कुमार गंगेले की एकलपीठ में मामले की सुनवाई हुई। इस दौरान याचिकाकर्ता होशंगाबाद मनकेड़ी निवासी नवीन बागरिया और दमोह निवासी देवेन्द्र पटैल सहित अन्य का पक्ष वरिष्ठ अधिवक्ता नमन नागरथ व राजेश चंद ने रखा।

उन्होंने दलील दी कि याचिकाकर्ताओं सहित 1192 छात्रों ने रात-दिन मेहनत करके पीएससी प्रारंभिक परीक्षा उत्तीर्ण की, जिसके आधार पर मुख्य परीक्षा में शामिल किया गया। कठोर परिश्रम के बूते आवेदकों ने मुख्य परीक्षा में भी सफलता अर्जित कर ली। लिहाजा, नियमानुसार साक्षात्कार के लिए आमंत्रित किया जाना चाहिए लेकिन ऐसा नहीं किया गया। इसी वजह से न्यायहित में हाईकोर्ट की शरण लेनी पड़ी। इससे पूर्व मध्यप्रदेश राज्य लोक सेवा आयोग को शिकायत सौंपी गई, लेकिन कोई नतीजा नहीं निकला।

असमंजस की स्थिति- बहस के दौरान दलील दी गई कि पीएससी-2012 को लेकर असमंजस की स्थिति के चलते आवेदकों के बीच असंतोष व्याप्त रहा है। 30 जुलाई को साक्षात्कार से वंचित होने के बाद से आवेदकों ने कई बार शिकायतें सौंपी लेकिन समाधान नहीं हुआ। इस बीच मध्यप्रदेश राज्य लोक सेवा आयोग ने किसी सीनियर एडवोकेट से विमर्श की सूचना सार्वजनिक कर दी। इस वजह से आवेदक घबराए हुए हैं। वे हर हाल में अपना हक हासिल करना चाहते हैं।

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