जबलपुर। परीक्षा मामलों में STF की मनमानी कार्रवाईयां, धीमी जांच और एसटीएफ के नाम पर परीक्षा आयोजकों के अनीतिगत निर्णयों की प्रक्रिया को उस समय बड़ा झटका लगा जब हाईकोर्ट ने पीएससी मुख्य परीक्षा उत्तीर्ण करने वाले छात्रों को साक्षात्कार के लिए आमंत्रित न किए जाने के मामले में सख्त रुख अपनाते हुए एसटीएफ को आवश्यक पक्षकार बनाने निर्देश जारी कर दिया। बुधवार को न्यायमूर्ति आलोक आराधे की एकलपीठ में मामले की सुनवाई हुई। इस दौरान पूर्व निर्देश के पालन में मध्यप्रदेश लोक सेवा आयोग के सचिव की ओर से अपना जवाब पेश किया गया।
STF ने 12 के खिलाफ FIR दर्ज की
पीएससी सचिव ने अपने जवाब में बताया कि पीएससी-2012 में पेपर लीक होने की शिकायत सामने आई। जिसकी जांच एसटीएफ कर रही है। उसने 12 आवेदकों के खिलाफ एफआईआर दर्ज की है। इसी वजह से मुख्य परीक्षा उत्तीर्ण आवेदकों को साक्षात्कार के लिए नहीं बुलाया जा सका। हाईकोर्ट ने इस जवाब को रिकॉर्ड पर लेने के साथ ही एसटीएफ को याचिका में पक्षकार बनाने निर्देश दे दिए। यह प्रक्रिया पूरी होने के साथ ही आगामी सप्ताह फिर से सुनवाई होगी।
सचिव को होना पड़ता हाजिर
हाईकोर्ट ने 3 फरवरी को सख्त निर्देश जारी करते हुए मध्यप्रदेश राज्य लोक सेवा आयोग के सचिव को 18 फरवरी तक हर हाल में जवाब पेश करने कह दिया था। ऐसा न किए जाने की सूरत में उन्हें स्वयं हाजिर रहने की ताकीद दी गई थी। इसी वजह से सचिव ने जवाब पेश करके व्यक्तिगत उपस्थिति से बचाव कर लिया।
1192 छात्रों के भविष्य से जुड़ा मामला
याचिकाकर्ता होशंगाबाद मनकेड़ी निवासी नवीन बागरिया और दमोह निवासी देवेन्द्र पटैल सहित अन्य का पक्ष वरिष्ठ अधिवक्ता नमन नागरथ व राजेश चंद ने रखा। उन्होंने दलील दी कि याचिकाकर्ताओं सहित 1192 छात्रों ने रात-दिन मेहनत करके पीएससी प्रारंभिक परीक्षा उत्तीर्ण की, जिसके आधार पर मुख्य परीक्षा में शामिल किया गया। कठोर परिश्रम के बूते आवेदकों ने मुख्य परीक्षा में भी सफलता अर्जित कर ली। लिहाजा, नियमानुसार साक्षात्कार के लिए आमंत्रित किया जाना चाहिए लेकिन ऐसा नहीं किया गया। इसी वजह से न्यायहित में हाईकोर्ट की शरण लेनी पड़ी। इससे पूर्व मध्यप्रदेश राज्य लोक सेवा आयोग को शिकायत सौंपी गई, लेकिन कोई नतीजा नहीं निकला।
असमंजस की स्थिति
बहस के दौरान दलील दी गई कि पीएससी-2012 को लेकर असमंजस की स्थिति के चलते आवेदकों के बीच असंतोष रहा है। 30 जुलाई को साक्षात्कार से वंचित होने के बाद से आवेदकों ने कई बार शिकायतें सौंपी लेकिन समाधान नहीं हुआ। इस बीच मध्यप्रदेश राज्य लोक सेवा आयोग ने किसी सीनियर एडवोकेट से विमर्श की सूचना सार्वजनिक कर दी। इस वजह से आवेदक घबराए हुए हैं। वे हर हाल में अपना हक हासिल करना चाहते हैं।