नई दिल्ली। वित्त मंत्रालय लोक भविष्य निधि(पीपीएफ) से धन निकासी के लिए न्यूनतम 'लॉक इन पीरियड' छह से बढ़ाकर आठ साल करने पर विचार कर रहा है। बुनियादी ढांचा विकास के लिए दीर्घकालीन कोष जुटाने के लिए सरकार इस प्रस्ताव पर विचार कर रही है। एक सूत्र ने कहा, 'बजट के लिए बुनियादी ढांचे का वित्त पोषण प्रमुख मुद्दा है। पीपीएफ दीर्घकालीन निवेश है और पीपीएफ के लिए 'लॉक-इन' अवधि की मियाद बढ़ाने से कोष को बुनियादी ढांचे में लगाने की गुंजाइश बढ़ेगी।'
दो प्रस्ताव
वित्त मंत्री अरुण जेटली 28 फरवरी को 2015-16 का बजट पेश करेंगे। सूत्र ने कहा, 'दो प्रस्ताव हैं। पहला 'लॉक इन' अवधि को कम-से-कम दो साल बढ़ाकर आठ साल करना तथा दूसरा निवेश की परिपक्वता अवधि 15 साल से बढ़ाना है।' फिलहाल पीपीएफ में 1.50 लाख रुपये तक का निवेश आयकर कानून की धारा 80 सी के तहत छूट प्राप्त है। 2014-15 के बजट में एक लाख की सीमा को बढ़ाकर 1.5 लाख रुपये किया गया था। पीपीएफ खाते पर ब्याज दर में संशोधन वित्त वर्ष की शुरुआत अप्रैल में होता है और फिलहाल यह 8.7 प्रतिशत है। इसमें न्यूनतम निवेश 500 रुपये तथा अधिकतम 1.50 लाख रुपये है।
मौजूदा नियम
मौजूदा नियमों के तहत कोई व्यक्ति पीपीएफ खाते से छह साल पूरा होने के बाद कुछ राशि निकाल सकते हैं। पीपीएफ खाते से चौथे साल के अंत में जमा राशि का 50 प्रतिशत तक निकाला जा सकता है। 15 साल के बाद कोई निवेशक पीपीएफ खाते से पैसा निकाल सकता है या पांच-पांच साल के लिए इसे बढ़ा सकता है।