भोपाल। प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष अरूण यादव ने व्यापम महाघोटाले में मुख्यमंत्री शिवराजसिंह चौहान के बचाव में गुरूवार को प्रदेश भाजपा अध्यक्ष नंदकुमारसिंह चैहान, 5 मंत्रियों, तीन विधायक, भोपाल महापौर सहित प्रदेश भाजपा नेताओं द्वारा एसआईटी पहुंचकर एसआईटी प्रमुख चंद्रेश भूषण को सौंपे गये अपने पत्र में कांग्रेस की शिकायत व शपथपत्र को निराधार और झूठा बताकर वैधानिक कार्यवाही की मांग किये जाने को अवैधानिक और एसआईटी पर दबाव बनाने का अक्षम्य प्रयास बताया है।
आज यहां जारी अपने बयान में यादव ने कहा कि अतिविशिष्टों और मुख्यमंत्री शिवराजसिंह चौहान को बचाने के लिए भाजपा की सत्ता और संगठन दानों ही अब सामने आ गये हैं। आने वाले दिनों में उसे यह खेल काफी महंगा पड़ेगा। उन्होंने यह भी कहा कि यदि इस महाघोटाले को लेकर प्रदेश भाजपा अध्यक्ष और मंत्री अतिविशिष्टों को निर्दोष और कांग्रेस के प्रामाणिक आरोपों को गलत मान रहे हैं तो कांग्रेस नेताओं पर वैधानिक कार्यवाही करने की मांग भी उसे एसआईटी से समक्ष शपथ पत्र के साथ करना थी?
यादव ने कहा कि एक ओर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने 15 अगस्त, 2014 को लाल किले की प्राचीर से देशवासियों को अपने संबोधन में कहा था कि ‘न मैं खाऊंगा, और न ही खाने दूंगा’, हाल ही में केंद्र सरकार ने पूर्व केंद्रीय मंत्री मतंगसिंह से जुड़े एक प्रसंग में केंद्रीय गृह सचिव की बर्खास्तगी तक कर दी है, वहीं मप्र में उनकी ही पार्टी और मंत्री व्यापम महाघोटाले में ‘अतिविशिष्ट’ आरोपियों को बचाने के लिए जांच एजेंसी एसटीएफ और अब तो उसकी जांच में म.प्र. उच्च न्यायालय/सर्वोच्च न्यायालय के निर्देश पर गठित एसआईटी पर भी बेजा दबाव बनाने पर आमादा हो गये हैं। भाजपा और राज्य सरकार भ्रष्टाचार को लेकर यह दोहरा चाल, चरित्र और चेहरा क्यों और किसलिए प्रदर्शित कर रही है? प्रधानमंत्री के नाते नरेन्द्र मोदी भी इस महाघोटाले को लेकर अब तक खामोश क्यों हैं?
यादव ने यह भी कहा कि एक ओर प्रदेश सरकार के मुखिया शिवराजसिंह चौहान शपथ-पत्र के साथ कांग्रेस द्वारा एसआईटी को सौंपे गये प्रामाणिक दस्तावेजों के बावजूद भी उन दस्तावेजों की निष्पक्ष जांच हेतु एसआईटी को पत्र लिखते हैं, वहीं उनकी पार्टी के मुखिया मंत्रियों के साथ एसआईटी जाकर कांग्रेस की शिकायत व शपथ पत्र को झूठा बताते हुए वैधानिक कार्यवाही की मांग कर रहे हैं। लिहाजा, इन दोनों ही चौहानों के परस्पर विरोधाभाषी पत्रों पर प्रदेश की जनता किसे सच समझे?
उन्होंने प्रदेश भाजपा और राज्य सरकार दोनों को ही इस विषयक कटघरे में लेते हुए कहा कि क्या नैतिकता के नाते मुख्यमंत्री और प्रदेश भाजपा अध्यक्ष को एसआईटी को पत्र लिखने का कानूनी अधिकार है? यदि पत्र लिखने का शौक ही है तो सीबीआई जांच हेतु पत्र क्यों नहीं लिखा जा रहा है? पिछले 9 वर्षों से यह महाघोटाला चल रहा था, तब उसकी निगरानी की जिम्मेदारी किसकी थी? प्रदेश के 2 करोड़ से ज्यादा युवा बरोजगारों के भविष्य, संवैधानिक संस्थाओं की विश्वसनीयता, कार्यशैली और व्यवस्था से जुड़े इस महत्वपूर्ण मुद्दे को मात्र आरोपियों को बचाने के लिए वास्तविकता की राह से भटकाकर संदेहास्पद बनाना किस राजनैतिक कूटनीति का अंग है।
यादव ने कहा कि सरकार, भाजपा और एसटीएफ को यह भी स्पष्ट करना चाहिए कि परिवहन आरक्षक भर्ती घोटाले की जांच की स्थिति क्या है। एसटीएफ द्वारा दर्ज करायी गई विभिन्न एफआईआर में कहीं पर बयानों, तो कहीं एक्सल सीट के आधार पर आरोपी बनाये जाने की बात कही गई है, न्यायालय में एसटीएफ उन्हें प्रमाणित कैसे करेगी। सरकार के दबाव में कहीं आरोपियों को बचाने का यह षड्यंत्र तो नहीं है? अपने बयान के अंत में यादव ने कहा कि इस महाघोटाले में शामिल हर बड़ी मछली को गिरफ्त में आने तक कांगे्रस का न्यायिक और सतही संघर्ष जारी रहेगा।