जबलपुर। मप्र हाईकोर्ट ने सरकारी दस्तावेजों में अतिविशिष्ट श्रेणी का दर्जा प्राप्त गणमान्यों के खिलाफ गोपनीय जांच के आदेश दिए हैं। एसआईटी ने इस संदर्भ में शुक्रवार को हाईकोर्ट के सामने रिपोर्ट पेश की थी। हाईकोर्ट ने कहा कि किसी व्यक्ति के नाम व पद के कारण जांच प्रक्रिया का तरीका बदलना नहीं चाहिए। सभी के साथ समान व्यवहार किया जाए। मामले की अगली सुनवाई 23 फरवरी को रखी गई है। याद दिला दें कि व्यापमं घोटाले में मप्र के महामहिम राज्यपाल महोदय के खिलाफ जांच की अनुमति मांगी गई थी। माना जा रहा है कि एसआईटी को फ्रीहेण्ड दे दिया है।
पदों से प्रभावित नहीं होनी चाहिए जांच
एसआईटी ने हाईकोर्ट को उन सभी अति विशिष्ठ व्यक्तियों के नाम भी बताए जिनके नाम एसटीएफ की जांच में सामने आए हैं। इसके बाद हाईकोर्ट ने साफ किया कि एसटीएफ अपनी जांच चेहरा देखकर नहीं करे। जिसके खिलाफ ठोस सबूत हों उसके खिलाफ जांच और कार्रवाई होनी चाहिए।
क्या है मामला
संविदा शाला शिक्षक भर्ती परीक्षा में आरोपी वीरपाल सिंह यादव ने बयान में बताया था कि उसने विजयपाल के जरिये राज्यपाल रामनरेश यादव के बेटे शैलेष को तीन लाख रुपए देकर 10 उम्मीदवारों को इस भर्ती परीक्षा में पास कराया था। इसके बाद एसआईटी ने राज्यपाल रामनरेश यादव को धारा 120 बी (साजिश में शामिल होने) के तहत आरोपी बनाने की रिपोर्ट हाईकोर्ट को दी थी। एसआईटी ने राज्यपाल के बेटे शैलेष को मुख्य आरोपियों में शामिल करने की भी अनुशंसा की थी।
आरोपियों की अलग-अलग सूची मांगी
हाईकोर्ट ने शुक्रवार को पेश किए गए दूसरे लिफाफे पर गौर करने के बाद स्टेटस रिपोर्ट को संतोषजनक माना। हालांकि एसटीएफ को सोमवार तक स्कोरर, बेनीफीशरी, मध्यस्थ व रैकेटियर्स की अलग-अलग सूची पेश करने के निर्देश दिए गए हैं। सरकारी और प्राइवेट मेडिकल कॉलेज के डीन को ताकीद दी गई है कि वे जांच में पूरा सहयोग करें। एसटीएफ को संदिग्ध आरोपियों की गिरफ्तारी सुनिश्चित करने कहा गया है। इसके लिए एक सप्ताह की समय-सीमा निर्धारित की गई है।
अनाधिकृत अदालतें कैसे दे रहीं जमानत!
सुनवाई के दौरान महाधिवक्ता रवीश चन्द्र अग्रवाल व अतिरिक्त महाधिवक्ता पुरुषेन्द्र कौरव ने अनाधिकृत अदालतों द्वारा व्यापमं फर्जीवाड़े के कुछ आरोपियों को जमानत दे दिए जाने की बात कही। उन्होंने कहा कि इस तरह से जमानत मिलने के चलते एसटीएफ की जांच बाधित हो रही है। हाईकोर्ट ने इस संबंध में रजिस्ट्रार जनरल से उनका कमेंट तलब कर लिया है। साथ ही एसटीएफ को निर्देश दिया है कि वह भविष्य में किसी भी अनाधिकृत कोर्ट द्वारा व्यापमं फर्जीवाड़े के किसी आरोपी की केस डायरी मंगाए जाने की सूरत में हाईकोर्ट को सूचित करें। वहीं राज्य शासन के वकीलों को इस तरह की जमानतें खारिज कराने अलग से केस प्रस्तुत करने स्वतंत्र कर दिया गया।