भोपाल। मप्र के राज्यपाल बाबू रामनरेश यादव के खिलाफ व्यापमं घोटाले में धारा 120 (बी) अर्थात षडयंत्रकारियों का साथ देने का आपराधिक प्रकरण दर्ज हो सकता है, अत: इससे पहले उन्हें रिजाइन करना ही होगा। न्यायालय में मामले की पेशी 23 फरवरी मंडे को है अत: यदि एसआईटी के पास पर्याप्त सबूत हैं तो उसे प्रकरण पेशी से पहले दर्ज करना होगा ताकि नाम सार्वजनिक किया जा सके।
मप्र हाईकोर्ट द्वारा व्यापमं फर्जीवाड़े में सामने आए कुछ ‘अतिविशिष्ट व्यक्तियों' के खिलाफ जांच आगे बढ़ाने के लिए एसटीएफ को हरी झंडी देने से राज्यपाल बैकफुट पर आ गए हैं। शुक्रवार को मामले की सुनवाई के दौरान जब कोर्ट में एसआईटी द्वारा पेश दो सीलबंद लिफाफों को खोला गया, तब चीफ जस्टिस अजय माणिकराव खानविलकर और जस्टिस आलोक आराधे की बेंच ने बड़े नामों का खुलासा किए बगैर एसटीएफ को हर किसी की जांच करने की छूट दी थी। मामले की अगली सुनवाई 23 फरवरी को है, जिसके पहले राज्यपाल इस्तीफा दे सकते हैं। यदि उन्होंने ऐसा नहीं किया तो राष्ट्रपति उनसे इस्तीफा मांग सकते हैं।
राज्यपाल ने (हाईकोर्ट में स्टेटस रिपोर्ट पेश होने से पहले) कहा था कि वे इस्तीफा नहीं देंगे। माना जा रहा है कि सोमवार को सुनवाई के दौरान बड़े नाम सार्वजनिक हो सकते हैं। सूत्रों के अनुसार बड़े नामों के खिलाफ जांच आगे बढ़ने के बाद राज्यपाल रामनरेश यादव पर पद छोड़ने का दबाव बढ़ गया है। ऐसा संभव है कि एसटीएफ यादव के खिलाफ 120 (बी) की 13 (1), 13 (2) और 13 (3) समेत अन्य धाराओं के तहत केस दर्ज कर सकती है।