भोपाल। साइबर एक्सपर्ट प्रशांत पांडे व्यापमं फर्जीवाड़े मामले से जुड़े कई अहम सबूत दिल्ली कोर्ट में जल्द ही जमा कराएंगे। हालांकि उन्होंने सबूतों के बारे में ज्यादा जानकारी देने से इनकार किया है। दिल्ली हाईकोर्ट ने शुक्रवार को पांडे को सुरक्षा उपलब्ध कराने के निर्देश दिए हैं।
इसके पहले कॉल डिटेल बेचने के मामले में भोपाल पुलिस द्वारा उन्हें गिरफ्तार करने पर वे चर्चा में आए थे। पांडे ने इस गिरफ्तारी को भी साजिश बताया। उनका कहना है कि घोटाले की जांच कर रहे एसटीएफ ने पांडे का सहयोग लिया था।
इस पूरे मामले को लेकर पांडे से की गई चर्चा के प्रमुख अंश:
1. आपने व्यापमं से जुड़े दस्तावेज लीक क्यों किए?
-इस मामले से जुड़ा कोई दस्तावेज मैंने लीक नहीं किया है। मेरे पास जो भी दस्तावेज हैं, उन्हें मैं जल्द दिल्ली हाई कोर्ट में जमा कर दूंगा।
2. क्या आप कांग्रेस महासचिव दिग्विजय सिंह की इस मामले में किसी प्रकार की मदद कर रहे हैं?
जी हां, मैं दिग्विजय सिंह की सिर्फ तकनीकी तौर पर मदद कर रहा हूं लेकिन मुझे यह नहीं पता की उनके पास दस्तावेज कहां से आए।
3. आपको किससे खतरा लग रहा है, जिसके लिए आपने सुरक्षा की मांग की है?
एसटीएफ मध्यप्रदेश पुलिस की एक विंग होते हुए भी अलग हो चुकी है। पुलिस के आला अधिकारियों को इस मामले की जांच की जानकारी चाहिए थी, लेकिन एसटीएफ से उन्हें जानकारी मिल नहीं पा रही थी। इसलिए एमपी नगर क्षेत्र में दूसरे क्षेत्र की पुलिस ने बिना वजह गिरफ्तार किया था। मुझे इस मामले में कई लोगों से जान का खतरा है। मैं अपनी सुरक्षा के लिए दिल्ली शिफ्ट हुआ हूं। हाई कोर्ट से सुरक्षा गार्ड भी इसीलिए लिया है।
4. व्यापमं के पूर्व अधिकारी नितिन महिन्द्रा की हार्डडिस्क जब्त करने से लेकर उसका डाटा रिट्रीव करने तक क्या प्रक्रिया अपनाई गई थी?
शुरू में इस मामले की जांच इंदौर पुलिस कर रही थी। इसलिए महिन्द्रा को गिरफ्तार कर उसके कम्प्यूटर की हार्डडिस्क भी इंदौर पुलिस ने ही जब्त की थी लेकिन इस बीच मामला जांच के लिए एसटीएफ को ट्रांसफर कर दिया गया था। लिहाजा डाटा रिट्रीव की रिपोर्ट एसटीएफ के पास आई थी। इस पूरी प्रक्रिया में मेरा कोई रोल नहीं रहा।
कौन हैं प्रशांत पांडे
इंदौर के रहने वाले प्रशांत पांडे पेशे से साइबर एक्सपर्ट हैं। वे कई मामलों को सुलझाने में इंदौर पुलिस, आईबी और रॉ की मदद कर चुके हैं। एसटीएफ के लिए भी उन्होंने करीब एक साल तक काम किया था लेकिन भोपाल पुलिस द्वारा गिरफ्तार किए जाने के बाद रिहा होने पर वे एसटीएफ से अलग हो गए।