रहस्यमयी तिजोरी बना कलेकटर का कैशबाण्ड, 10 करोड़ उलझे

Bhopal Samachar
मुरैना। पंचायत चुनावों में शांति कायम रखने के लिए निर्वाचन आयोग की परंपराओं से इतर कलेक्टर मुरैना ने प्रत्याशियों पर कैशबाण्ड की शर्त लगाई थी। ना भरने पर पर्चा खारिज कर दिया गया था। अब चुनाव समाप्त हो गए हैं परंतु जमानत के तौर पर जमा कराई गई रकम अब तक वापस नहीं की गई है।

जमा राशि को बापस लेने के लिये प्रत्याशी एवं उनके समर्थक आये दिन अधिकारियों के यहां चक्कर लगा रहे हैं, लेकिन अधिकारी करोड़ों की इस सुरक्षा राशि पर कुंडली मारकर बैठे हैं। प्रत्याशियों के बार-बार मांगने के बाद भी यह राशि बापस करना तो दूर प्रशासनिक अधिकारी उन्हें यह जानकारी भी ठीक से नहीं दे पा रहे हैं कि यह राशि उन्हें कब तक बापस कर दी जायेगी।

उल्लेखनीय है कि पंचायत चुनावों के समय प्रशासनिक एवं पुलिस अधिकारियों द्वारा निर्वाचन आयोग के प्रावधानों को ताक पर रखकर निर्वाचन प्रक्रिया में भाग ले रहे सभी प्रत्याशियों से करोड़ों की राशि कैश बाण्ड के रूप में जमा कराई थी। सुरक्षा राशि जमा कराते समय उन्हें यह राशि चुनावों के बाद बापस किये जाने का मौखिक आश्वासन भी अधिकारियों द्वारा दिया गया था।

पंचायत चुनाव बीते लगभग एक माह से अधिक समय हो चुका है इसके बावजूद प्रत्याशियों से जमा कराई गई सुरक्षा राशि उम्मीदवारों का बापस किये जाने की प्रक्रिया शुरू नहीं हो सकी है। प्रत्याशी सुरक्षा राशि के नाम पर जमा कराई राशि बापस लेने के लिये राजस्ब एवं प्रशासनिक अधिकारियों के चक्कर लगा रहे हैं,लेकिन उन्हें ना तो जमा राशि बापस की जा रही है,और नां ही इस संबंध में कोई समुचित जबाव ही दिया जा रहा है। इस कारण प्रत्याशी एवं उनके समर्थक परेशान हो रहे हैं।

कई प्रत्याशी रहे थे चुनाव से वंचित
सुरक्षा के नाम पर कैश बाण्ड जमा कराने के अधिकारियों के तुगलकी फरमान के कारण जिले में कई प्रत्याशी चुनाव लडऩे से वंचित रहे गये थे। कैश बाण्ड की भारी भरकम राशि का बंदोवस्त नहीं होने के कारण जहां कुछ उम्मीदवारों ने नामांकन भरने से पहले ही अपने हाथ खींच लिये थे ,वहीं कुछ प्रत्याशियों ने नामांकन भरने के बाद भी दूसरे प्रत्याशियों को अपना समर्थन दे दिया था।

कर्ज लेकर जमा कराई थी राशि
पंचायत चुनाव लड़ रहे कई प्रत्याशियों ने तो प्रशासनिक एवं पुलिस अधिकारियों के दबाव में आकर कर्ज लेकर कैश बाण्ड जमा कराये थे। कर्ज की यह राशि प्रत्याशियों द्वारा चुनावों के बाद बापस करने का आश्वासन भी साहूकारों को दिया था। इस कारण कई प्रत्याशी आर्थिक रूप से भारी परेशानी का सामना कर रहे हैं। बाण्ड की राशि बापस नहीं हो पाने से प्रत्याशियों के सिर पर कर्ज के साथ ब्याज का बोझ भी बड़ता जा रहा है,लेकिन कैश बाण्ड बापस करने के नाम पर अधिकारियों को कोई ङ्क्षचता नहीं है।

जिले में जमा हुए थे दस करोड़
जिले में पंचायत चुनावों के समय लगभग दस करोड़ रूपये प्रत्याशियों एवं उनके समर्थकों द्वारा जमा कराये गये थे। कैश बाण्ड जमा कराने के लिये जिले भर में पुलिस एवं राजस्ब अधिकारियों द्वारा प्रत्याशियों की बिशेष बैठकें भी कीं थी।

चुनाव नहीं लड़ पाने का दिखाया था भय
कैश बाण्ड जमा नहीं करने की स्थिति में प्रत्याशियों को अधिकारियों द्वारा चुनाव नहीं लड़ पाने का भय भी दिखाय था,इस कारण कई प्रत्याशियों एवं उनके समर्थकों ने कैश बाण्ड जमा कराये थे।

ये बोले हाकिम
पंचायत चुनावों के दौरान प्रत्याशियों से शांति भंग की आशंका के आधार पर पुलिस द्वारा धारा 107,116 के तहत इस्तगासा पेश किये गये थे, इसी के आधार पर संबंधित तहसीलदार एवं नायब तहसीलदारों द्वारा उन्हें बाण्ड ओव्हर कराया गया था। बैसे तो यह छह महीने के लिये होता है, लेकिन फिर भी संबंधित अधिकारी चाहें तो पुलिस से रिपोर्ट लेकर प्रत्याशियों की राशि बापस कर सकते हैं। प्रशासन अभी तक चुनावों में ब्यस्त रहा था, अब ओला पीडि़तों के सर्वे में ब्यस्त है। समय मिलते ही प्रत्याशियों की जमा राशि बापसी की कार्यवाही की जायेगी।
अशोक कमठान
अनुविभागीय अधिकारी मुरैना

कहीं किसी घोटाले की तैयारी तो नहीं
एसडीएम का यह बयान इस संदेह की पुष्टि करता है कि प्रशासनिक अधिकारी जान बूझकर मामले को टालने का प्रयास कर रहे हैंं वो चाहते हैं कि समय गुजरता चला जाए और धीरे धीरे लोग भूल जाएं ताकि घोटाला किया जा सके, या फिर जमानत की रकम वापसी के लिए रिश्वत का गुणाभाग जमा लिया गया होगा, शायद इसीलिए प्रत्याशियों को परेशान किया जा रहा है ताकि अपना पैसा वापस पाने के लिए लोग कुछ तो चुकाएं। मोटा मोटा हिसाब लगाया जाए तो मध्यप्रदेश में कुल रकम का 20 प्रतिशत रिश्वतखोरी में खर्च होता ही है। लोकायुक्त के तमाम छापों का औसत यही निकलकर आ रहा है। यदि इस मामले में यही फार्मूला लगाया जाए तो गोलमाल 2 करोड़ के लिए किया जा रहा है।

कलेक्टर महोदय कृपया खंडन कीजिए
हम कलेक्टर मुरैना से अपील करते हैं कि कृपया इस आरोप का खंडन कीजिए। प्रमाणित कर ​दीजिए कि तमाम संदेह गलत हैं और प्रशासन की मंशा किसी से रिश्वत वसूली की नहीं है और यह तो केवल तभी हो पाएगा जब प्रत्याशियों को उनके 10 करोड़ ठीक वैसे ही लौटा दिए जाएंगे जैसे लाइन लगाकर जमा कराए गए थे।

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