भोपाल। अंतत: सीएम शिवराज सिंह चौहान ने भूल सुधार ही ली। आनन फानन स्थगित की गई विधानसभा के बाद आज आहूत किए गए विशेष सत्र में 10 हजार करोड़ का अनुपूरक बजट पेश किया गया। इसके बाद अब कम से कम कर्मचारियों को वेतन और ठेकेदारों को पेमेंट के लाले नहीं पड़ेंगे। हालांकि सरकार का खजाना अब भी खाली ही रहेगा।
याद दिला दें कि व्यापमं घोटाले के शिवराज सिंह चौहान के खिलाफ माहौल बनने के बाद सरकार ने आनन फानन पिछला विधानसभा सत्र स्थगित करवा दिया था। सरकार इतनी जल्दी में थी कि वो बजट जैसी महत्वपूर्ण बात को भी याद नहीं रख पाई।
आज मध्यप्रदेश विधानसभा के एक दिवसीय विशेष सत्र में मंगलवार को राज्य के वित्तमंत्री जयंत मलैया ने दस हजार छह सौ 57 करोड़ रुपये का अनुपूरक बजट पेश किया। इस पर सदन में चर्चा हो रही है।
राज्य विधानसभा की दिनभर की बैठक की शुरुआत केरल विधानसभा के अध्यक्ष जी. कार्तिकेयन, मध्य प्रदेश विधानसभा की पूर्व सदस्य एफ .सी. बाटकिस के निधन पर उन्हें श्रद्घांजलि और दो मिनट का मौन रखने के साथ हुई।
मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान, नेता प्रतिपक्ष सत्यदेव कटारे और विधानसभाध्यक्ष सीतासरण शर्मा ने दिवंगत नेताओं की राजनीतिक सक्रियता और योगदान को याद किया। सदन की कार्यवाही पांच मिनट तक स्थगित रहने के बाद वित्तमंत्री मलैया ने अनुपूरक बजट पेश किया। इस पर शुरू हुई चर्चा में विपक्ष की ओर से महेंद्र सिंह कालूखेड़ा और मुकेश नायक ने राज्य में वित्तीय अनुशासन न होने का हवाला दिया। उन्होंने कहा कि राज्य में बजट का बड़ा हिस्सा सिर्फ मार्च माह में खर्च किया जाता है। साथ ही उन्होंने कैग द्वारा उठाए गए सवालों का भी जिक्र किया।
इस पर सत्तापक्ष की ओर से पंचायत मंत्री गोपाल भार्गव व वन मंत्री गौरी शंकर शेजवार ने सरकार द्वारा किसान व अन्य वगरे के लिए किए जा रहे कामों का हवाला दिया।