जबलपुर। शहर के लिए यह शर्म का समय है। प्रशासन को धिक्कारने का दिन। व्यवस्थाओं की समीक्षा जरूरी और बदलाव तक अभियान की जरूरत। सीवर लाइन के काम के दौरान 8वें मजदूर की मौत हो गई। वो एक गड्डे में फंसा था, 2 घंटे तक तड़पता रहा लेकिन किसी ने मदद नहीं की। सैंकड़ों लोग उसकी मौत के चश्मदीद बने रहे। प्रशासन भी नहीं पहुंचा।
जयप्रकाश नगर झण्डा चौक के समीप सिम्प्लेक्स कंपनी से लेकर किसी पेटी कांट्रेक्टर द्वारा सीवर बिछाने का काम किया जा रहा है। सीवर का पाइप डालने यहां करीब 15 फीट गहरा गड्ढा खोदा गया था। बुधवार को दोपहर करीब 12 बजे बेस डालने से पहले सिवनी निवासी 22 वर्षीय मजदूर सियाराम कुडपे गड्ढे को साफ करने उतरा था। हाथ में गेंती-फावड़ा लेकर वह बेस साफ कर रहा था उसी दौरान आसपास की मिट्टी धसककर गिरी और वह उसमें दब गया।
भागे ठेकेदार और अधिकारी
मिट्टी धसकने के बाद जैसे ही मजदूर उसमें फंसा और मदद के लिए चिल्लाने लगा तो आसपास काम करने वाले अन्य मजदूर, पेटी कांट्रेक्टर और कंपनी के अधिकारी मौके से भाग खड़े हुए। जब निगम का बचाव अमला पहुंचा उसके बाद एक-एक कर सभी लौटे।
भटकता रहा दमकल अमला
सीवर लाइन के गड्ढे की मिट्टी धसकने से मजदूर जयप्रकाश नगर में फंसा रहा और दमकल को सूचना दी गई कि दीनदयाल चौक के समीप घटना हुई है। दमकल का बचाव अमला करीब आधा घंटे तक भटकता रहा तब कहीं जाकर वह मौके पर पहुंच पाया।
जेसीबी का पंजा लगने से मौत
प्रत्यक्षदर्शियों का कहना है कि जेसीबी मशीन ने जब मिट्टी निकालना शुरू किया तब तक मजदूर जिंदा रहा। लेकिन काम के दौरान ही जेसीबी का पंजा उसके माथे पर लगा और थोड़ी देर में ही उसने दम तोड़ दिया। यह जेसीबी भी किसी प्राइवेट ठेकेदार की रही।
ठेकेदार पर होगी कार्रवाई
सीवर लाइन के काम के दौरान मिट्टी में दबकर हुई श्रमिक की मौत को महापौर ने दुखद बताते हुए संवेदनाएं प्रकट की। उन्होंने घटना की जांच के निर्देश देते हुए काम करने वाली सिम्प्लेक्स कंपनी के खिलाफ कार्रवाई करने के भी निर्देश दिए।
सिम्प्लेक्स कंपनी द्वारा सीवर लाइन बिछाने का काम किया जा रहा था। करीब 15 फीट गड्ढा खोदा गया था जिसमें पाइप डालने से पहले बेस बिछाना था। मजदूर बेस डालने के लिए ही मिट्टी साफ करने उतरा रहा और आसपास की मिट्टी धसकने से दब गया। -विनोद तिवारी, प्रभारी जेएनएनयूआरएम
यदि कोई उसके चेहरे के आसपास की मिट्टी हटा देता तो सांस लेने में उसे परेशानी नहीं होती और वह सर्वाइव कर लेता। इससे उसकी जान बच जाती। - डॉ. ऋषि डाबर, फेफड़ा रोग विशेषज्ञ
अब तक 8 मौतें
सीवर लाइन के काम में शहर में अब तक 8 मौतें हो चुकी हैं। पिछले 7 साल में अलग-अलग क्षेत्रों में हुई इन मौतों के बाद भी नगर निगम और काम करने वाली कंपनी नहीं चेती। जहां भी काम किया जा रहा है वहां से सुरक्षा नदारद है।
सीवर लाइन बिछाने का काम 2008 में शुरू हुआ था। तब से लेकर अभी तक काम तो मात्र 45 फीसदी हुआ है लेकिन इस दौरान 8 मौतें हो चुकी हैं। सभी मौतें ठेकेदार की लापरवाही के कारण हुई हैं। इसके अलावा सीवर के गड्ढे और चेंबरों से दुर्घटना का आंकड़ा भी आधा सैकड़ा को पार कर गया है।
दुर्घटना के बाद हर बार नगर निगम सुरक्षा के इंतजाम करने के सिर्फ निर्देश जारी करता है। लेकिन जहां भी काम हो रहा है वहां मौके पर मौजूद अधिकारी ध्यान नहीं देते हैं। सीवर लाइन बिछाने को लेकर सुरक्षा व्यवस्था के जो भी इंतजाम रहते हैं अगर उन पर ध्यान दिया गया होता तो मरने वाले मजदूरों को बचाया जा सकता था।
- कहां-कहां हुई मौत
- रांझी में 2 मौतें
- विजय नगर में 2 मौतें
- अधारताल क्षेत्र में ही दूसरी मौत
- धनवंतरि नगर में एक मौत
- मेडिकल के सामने एक मौत
- कैसे होती है सुरक्षा
- जहां भी खुदाई हो वहां 2 मीटर से अधिक की खुदाई पर लकड़ी का डग बनाकर रखा जाता है ताकि आसपास की मिट्टी न धसके
- काम वाली जगह पर बोर्ड और सुरक्षा का घेरा बनाना जरूरी है
- मजदूरों के सिर में हेलमेट और शेफ्टीबूट होना चाहिए
- रेसक्यू साधन मौके पर होने चाहिए
- काम करने वाला पूरा क्षेत्र कवर्ड रखना होता है
- गहराई पर उतरने में मजदूर को शेफ्टी बेल्ट पहनाना चाहिए