शिक्षा के निजीकरण के विरोध में लामबंद अध्यापक, 30 को सोंपेंगे ज्ञापन

मण्डला। राज्य अध्यापक संघ की जिला इकाई ने एलान किया है कि वे प्रदेश में शिक्षा के निजीकरण का खुलकर विरोध करेंगें। शिक्षा के निजीकरण को संघ ने सीधे शिक्षा का बजारीकरण बताते हुये इसे पूंजीपतियों और उद्योगपतियों को  लाभ पहुंचाने वाला बताया है। संघ ने चिंता व्यक्त की है कि जहां पिछले 20 वर्षो से शोषित एवं उपेक्षित रहे अध्यापकों में जब उससे उबरने की आस जगी तो एक बार फिर उसे उसी संघर्ष के राह में धकेला जा रहा है।

सरकार शिक्षा में बेहतर प्रबंधन न होने का ठीकरा शिक्षकों पर थोपकर जो यह व्यवस्था लागू कर रही है वास्तव में वह अपनी जिम्मेदारी से भाग रही है। यदि शिक्षा में बेहतर प्रबंधन नहीं है तो यह दोष शासकों और प्रशासकों का है। यदि शिक्षा और स्वास्थ्य जैंसे मूलभूत विभागों का प्रबंधन सरकार नहीं कर सकती तो फिर सरकार की जिम्मेदारी बची ही नहीं और जब जिम्मेदारी ही नहीं बची तो मोटी मोटी तनख्वाह वाले नेता और अधिकारियों की भी जरूरत नहीं।

सरकार शिक्षकों से अपने सारे राष्ट्रीय कार्यक्रमों का संचालन कराती है और उसकी उपलब्धि में शिक्षकों को कभी भी भागीदार नहीं बनाती है बेजा गैर शिक्षकीय कार्य के बाद शिक्षा में अच्छे परिणाम की उम्मीद बेमानी है। संघ ने सरकार पर आरोप लगाया है कि जन जन तक शिक्षा का अधिकार का नारा देने वाली सरकार शिक्षा के निजीकरण का विचार लाकर इस नारा के उलट  काम करने जा रही है। इस व्यवस्था के लागू होने पर अमीर तबका खुश होगा तो जाहिर है शिक्षा गरीबों से दूर होगी। राज्य अध्यापक संघ के जिला शाखा अध्यक्ष डी.केे.सिंगौर ने विज्ञप्ति जारी कर बताया कि शिक्षा के निजीकरण के विरोध में 30 मार्च को शाम 4 बजे मुख्यमंत्री के नाम कलेक्टर को ज्ञापन सौंपा जायेगा। सभी अध्यापकों से उपस्थित होने की अपील की गई है।

शिक्षा के  निजीकरण का विरोध सिर्फ ज्ञापन सौंपने तक सीमित नहीं रहेगा। इसका विरोध हम सड़कों पर आकर भी करेंगें।
(डी.के.सिंगौर)
अध्यक्ष राज्य अध्यापक संघ मण्डला



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