प्यास बुझाने आए थे वनराज, 3 घंटे तक सहमा रहा पूरा गांव

भोपाल। रायसेन के महुआखेड़ा गांव में स्थित एक बांध पर आज एक बाघ अपनी प्यास बुझाने आ पहुंचा। उसकी यह प्यास ग्रामीणों को बड़ी मंहगी पड़ी, पूरे 3 घंटे तक ग्रामीणों की जान गले में ही अटकी रही। ना उगली गई, ना निगली जा सकी। पूरे 3 घंटे बाद जब बाघ जंगल में समा गया तब जान में जान लौटी, लेकिन धड़कने तो अभी भी तेज ही हैं। 


सुल्तानपुर के महुआखेड़ा गांव के लोग रोज की तरह अपना कामकाज निपटा रहे थे कि अचानक उनकी नजर गांव के समीप बने डैम पर पड़ी। दरअसल एक बाघ अपनी प्यास बुझाने के लिए गांव के पास बने डैम पर आया था, जिसे देखकर पूरा गांव दहशत में आ गया। अपनी प्यास बुझाने के बाद बाघ ने सुल्तानपुर-परसोरा रोड किनारे स्थित एक पेड़ के नीचे करीब तीन घंटे तक आराम किया। आराम के दौरान बाघ कभी सो जाता, तो कभी उठकर आसपास टहलने लगता और वापस वहीं आ कर बैठ जाता था। उधर, बाघ को देखने के लिए लोगों की भीड़ लग गई।

काफी देर बाद दी वन विभाग को सूचना
ग्रामीणों को पहले लगा कि बाघ पानी पीकर वापस चला जाएगा, लेकिन बाघ ने ऐसा नहीं किया। वह काफी देर तक वहां टहलता रहा। करीब आधे घंटे बाद ग्रामीणों ने सड़क के किनारे बाघ के बैठे होने की सूचना वन विभाग के अमले और पुलिस थाने में दी।

पुलिस और वन विभाग तत्काल पहुंचा मौके पर
ग्रामीणों द्वारा दी गई सूचना के बाद पुलिस और वन विभाग का अमला तत्काल मौके पर पहुंचा। टीम के साथ मौके पर पहुंचे पुलिस और वन विभाग के कर्मचारियों ने सड़क के दोनों ओर से आवागमन पूरी तरह से बंद करा दिया। इस बीच सुरक्षा की दृष्टि से पुलिस ने मौके पर मौजूद लोगों को अपने घरों में जाने के आदेश दिए, ताकि बाघ किसी पर हमला न कर सके। इस दौरान कई लोग मोबाइल से बाघ का फोटो भी खींचते नजर आए।

तीन घंटे तक गांव के आसपास घूमता रहा बाघ
सुल्तानपुर के एक ग्रामीण ने बाघ को सुबह लगभग 9.30 बजे के आसपास देखा था और इसकी सूचना अन्य लोगों को दी थी। डैम का पानी पीने के बाद करीब 3 घंटे तक बाघ डैम और गांव के आसपास घूमता रहा। दोपहर 12.30 बजे तक बाघ सड़क के किनारे ही बैठा रहा। इसके बाद वह जंगल की तरफ चला गया।

वन-विभाग का अमला और पुलिस ने दो घंटे रखी बाघ पर नजर
बाघ बार-बार उठकर इधर-उधर घूम रहा था, लेकिन वन विभाग के अमले और पुलिस ने उसे भगाने की कोशिश नहीं की। लगभग दो घंटे तक वे बाघ पर कड़ी नजर रखें हुए थे। वन विभाग के अधिकारियों का मानना था कि यदि बाघ को भगाने की कोशिश करते तो वह गांव में घुस सकता था। कोई अनहोनी न हो इसलिए हम उसके जंगल में जाने का इंतजार करते रहे। करीब तीन घंटे बाद बाघ स्वयं ही उठकर जंगल में चला गया। बाघ के जंगल में चले जाने के बाद भी कुछ देर तक वन और पुलिस का अमला सुरक्षा की दृष्टि से गांव में तैनात रहा।

डैम पर आया था बाघ
ग्राम महुआखेड़ा के पास जंगल लगा हुआ है। इस जंगल के रास्ते से होकर अक्सर जंगली जानवर गांव के डैम पर पानी पीने आया करते हैं। यह बाघ भी सिर्फ अपनी प्यास मिटाने के लिए डैम पर आया था। बाघ करीब तीन घंटे तक सडक़ के किनारे एक पेड़ के नीचे बैठा रहा। यहां पर पहली बार बाघ देखा गया है। सुरक्षा की दृष्टि से मार्ग पर आवागमन बंद करवा दिया गया था। आरएस शर्मा, डिप्टी रेंजर, सुल्तानपुर।

बाघ​ देखने लग गई थी भीड़
गांव के समीप बाघ आने की सूचना मिलते ही लोग वहां पर बड़ी संख्या में एकत्रित हो गए थे। वहां सुरक्षा की दृष्टि से पुलिस बल लगाना पड़ा। सुरक्षा को ध्यान में रखकर लोगों को वहां से हटा दिया गया था।
अजय राजौरिया, थाना प्रभारी सुल्तानपुर

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