इंदौर/महू। मार्च के महीने में पातालपानी का झरना सूख जाता है परंतु इस बार लबालब होता दिखाई दे रहा है। झरने से पानी गिर रहा है। ग्रामीण बताते हैं कि कोई 40 साल पहले एक बार ऐसा हुआ था। सामान्यत: यह झरना केवल बारिशों में ही गिरता है।
40 वर्षीय पूर्व सरपंच शैलेंद्र वर्मा का कहना है कि मैंने अपने जीवनकाल में कभी मार्च में झरना नहीं देखा। पातालपानी में पानी पिलाने का काम करते हुए सेवानिवृत्त 65 वर्षीय श्यामलाल पाल और इसी इलाके में रेलवे पाइंटमैन रहे 63 वर्षीय हरिलाल का कहना है उन्होंने पहली बार मार्च में झरना बहते देखा।
आठ साल यहां पदस्थ रहे पूर्व एसडीओ और पर्यावरणविद् अभय जैन का कहना है कि झरने में आसपास की पहाड़ियों से ही पानी बहकर आता है। इस इलाके में दो दिन जो पानी गिरा है, उससे ही झरना चालू हुआ है। पर यह सही है मैंने अपने कार्यकाल में ऐसा नजारा नहीं देखा। उधर, जिले के अन्य झरने चोरल, कालाकुंड और तिंछा फॉल में पानी नहीं आया है।
इतना पानी पहली बार देखा
चोरल नहर झरने के नजदीक है इसलिए जब भी वहां से पानी छोड़ा जाता है तो थोड़ा बहुत बहाव झरने में आ जाता है, लेकिन मार्च में इतना पानी पहली बार देख रहा हूं।
सरदारसिंह चौहान, महू रेंज, वन विभाग