भोपाल। एक्सीडेंट में घायल या फिर अन्य बीमारी से पीड़ित मरीज को एंबुलेंस के लिए अब लंबा इंतजार नहीं करना होगा। फोन आने से 90 सेकंड (डेढ़ मिनट) के भीतर एंबुलेंस रवाना हो जाएगी। शहरी इलाके में 20 मिनट के भीतर मरीज को अस्पताल पहुंचाने की जिम्मेदारी रहेगी। ग्रामीण इलाके में ज्यादा से ज्यादा 30 मिनट का समय लग सकता है। इससे ज्यादा समय लगा तो एंबुलेंस का संचालन करने वाली एजेंसी पर मोटी पेनल्टी लगाई जाएगी। स्वास्थ्य सेवा गारंटी स्कीम में अभी यह समय 30-45 मिनट रखा गया था। एंबलुेंस संचालन के लिए नया कांट्रैक्ट शुरू होने के साथ ही यह व्यवस्था लागू हो जाएगी।
दो फीसदी ज्यादा मरीज रेफर नहीं होंगे निजी अस्पताल
108 एंबुलेंस से ज्यादातर मरीजों को निजी अस्पतालों में ले जाने के लिए बड़ी बंदिश लगाई जा रही हैं। ज्यादातर मरीजों को अब सरकारी अस्पतालों में पहुंचाया जाएगा। महीने भर में अस्पताल ले जाए गए कुल केस में सिर्फ 2 फीसदी ही निजी अस्पताल में ले जाएंगे। वह भी पास में सरकारी अस्पताल न हो या फिर मरीजों के परिजन बाध्य करें तो। अभी करीब 20 फीसदी केस निजी अस्पतालों में जा रहे हैं। मरीजों या उनके परिजन के कहने पर उन्हें निजी अस्पताल पहुंचाया जाता है।
इस तरह लगेगी पेनल्टी
90 सेकंड के भीतर एंबुलेंस रवाना नहीं हुई तो 10 रुपए प्रति सेकंड के हिसाब से पेनल्टी लगेगी। मसलन महीने भर में 1000 कॉल आईं। इनमें औसत देरी 2 सेकंड की है, तो पेनल्टी 20 हजार हो जाएगी। इसी तरह से एंबुलेंस 20 मिनट बाद पहुंची, तो उसमें भी कुल मंथली बिल में आधा फीसदी पेनल्टी लगेगी।
चिकित्सकों की कमी दूर करने के लिए डॉक्टर्स एक्सप्रेस
ग्रामीण इलाकों के अस्पतालों में पीएचसी और सीएचसी में डॉक्टरों की कमी को देखते हुए हर ब्लॉक में 2-2 डॉक्टर्स एक्सप्रेस वाहन चलेंगे। ये वाहन जिला अस्पतालों से डॉक्टरों को लेकर बिना डॉक्टर वाले अस्पताल में जाएंगे। यहां 9 से 3 बजे तक ओपीडी में मरीजों को देखेंगे।
- यह भी होगा नए कांट्रैक्ट में
- मरीज के पहुंचने के पहले एंबुलेंस स्टाफ द्वारा निजी अस्पताल को सूचना दी जाएगी, ताकि पहले से इलाज की तैयारी हो सके।
- 108 कॉल सेंटर में डॉक्टर मौजूद रहेंगे। जरूरत पर एंबुलेंस स्टाफ मरीज के इलाज के संबंध में उनसे भी सलाह ले सकेंगे।
- 108 में इमरजेंसी मैनेजमेंट टेक्नीशियन (ईएमटी) को राष्ट्रीय और अंतराष्ट्रीय स्तर की संस्था से एडवांस लाइफ सपोर्ट (एएलएस) की ट्रेनिंग होनी चाहिए।
- एक एंबुलेंस का हर दिन कम से कम 5 इमरजेंसी मरीजों को ले जाने का टारगेट रहेगा।
- गर्भवती महिलाओं को उन्हीं अस्पतालों में ले जाया जाएगा, जहां उनकी प्रसव पूर्व जांचें हो रही हैं।
- संबंधित क्षेत्र के एंबुलेंस स्टाफ को मदर एंड चाइल्ड ट्रेकिंग सिस्टम से पहले से पता होगा कि क्षेत्र की किस गर्भवती महिला की संभवित प्रसव तिथि कब है।
- सभी एंबुलेंस के परफॉरमेंस की वेब आधारित निगरानी की जाएगी।
- अधिकारियों की जांच में एंबुलेंस में कोई कमी मिली तो पहली बार 1000 और बाद में 2500 रुपए पेनाल्टी लगेगी।
- संजीवनी 108 के अलावा जननी एक्सप्रेस, मोबाइल मेडिकल यूनिट व डॉक्टर्स एक्सप्रेस के संचालन का जिम्मा भी 108 कॉल सेंटर को दिया जाएगा।
- सभी वाहनों में जीपीएस लगे रहेंगे, ताकि उनकी निगरानी होती रहे।
- वाहनों की स्थिति
- 108 एंबुलेंस बीएलएस- 554
- 108 एंबुलेंस एएलएस- 50
- जननी एक्सप्रेस वाहन- 940
- मोबाइल मेडिकल यूनिट- 100
नोट- कांट्रैक्ट के बाद 38 जिलों में 144 मोबाइल यूनिट चलेंगी।
108 में हर दिन कॉल- 25000
हर दिन इनमरजेंसी पिकअप- 1800
अभी तक एंबुलेंस के संचालन में जो कमियां दिखी थीं। उन्हें दूर करने की कोशिश की जा रही है। कम से कम समय में जरूरतमंद तक वाहन पहुंचें। इसके लिए समय और पेनाल्टी तय की गई है। ऐसी भी शिकायत आ रही थी निजी अस्पतालों ज्यादा मरीज ले जाए जाते हैं, इसलिए इसे भी कम करने का प्रयास किया जा रहा है।
फैज अहमद किदवई, मिशन संचालक, एनएचएम
- पत्रकार शशिकांत तिवारी की रिपोर्ट