ग्वालियर। ग्वालियर में पदस्थ रही महिला जज द्वारा ग्वालियर खण्डपीठ के तत्कालीन जस्टिस एसके गंगेले पर लगाये यौन उत्पीड़न के मामले की जांच एक कदम और आगे बढ़ी है। पूर्व महिला जज की शिकायत में लगाये गये आरोपों को प्रथम दृष्टया गहराई से जांच करने लायक पाया गया है। अब तीन न्यायाधीशों की समिति मामले की गहराई से जांच करके सच्चाई का पता लगायेगी।
ग्वालियर में पदस्थ रही मप्र की एक पूर्व अतिरिक्त जिला एवं सत्र न्यायाधीश महिला ने हाईकोर्ट के न्यायाधीष गंगेले पर यौन उत्पीड़न का आरोप लगाया है। हालांकि शिकायतकर्ता महिला जज की याचिका पर सुनवाई करते हुये, मप्र हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश द्वारा गठित दो सदस्यीय जांच समिति निरस्त कर दी थी और नये सिरे से मामले की जांच के आदेश दिये थे।
सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में कहा था कि इस मामले की जांच से मप्र हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश अलग रहेंगे। साथ ही आरोपी जज से प्रशासनिक कामकाज वापिस लेने के आदेश किये थे।
शिकायत को गहराई से जांच योग्य पाया
सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले के बाद सीजेआई ने शिकायत की नये सिरे से जांच एक अन्य हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश को सौंपी थी, जिनकी रिपोर्ट में शिकायत को गहराई से जांच योग्य पाया। मुख्य न्यायाधीश की प्रारंभिक रिपोर्ट के बाद इस मामले की जांच तीन न्यायाधीशों की समिति से कराने का निर्णय लिया है। तीन सदस्यीय जांच समिति में दो सदस्य हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश होंगे और तीसरा सदस्य होईकोर्ट का न्यायाधीश होगा। न्यायाधीशों की यह तीन सदस्यीय पीठ शिकायत की गहराई से जांच करके तथ्यों का पता लगायेगी। इस जांच में संबंधित जज को कमेटी के समक्ष पेश होकर अपना पक्ष रखने का अधिकार होगा। कमेटी जांच पूरी करने के बाद अपनी रिपोर्ट सीजेआई को सौंपेगी। हालांकि यह जांच सामान्य न्यायिक जांच की तरह नहीं होती, जिसमें गवाहों का परीक्षण व जिरह की जाये। व वकीलों द्वारा पक्ष रखा जाये।