पढ़िए छग की पहली फर्जी महिला डॉक्टर की कहानी

Bhopal Samachar
रायपुर। छत्तीसगढ़ में पहली बार किसी मुन्‍नाभाई ने एमबीबीएस की डिग्री हासिल की है। वह डॉक्टर बन चुकी है। पं. जवाहरलाल नेहरू मेमोरियल मेडिकल कॉलेज की साल 2008-09 बेच की इस छात्रा ने साढ़े चार साल कोर्स पूरा करने के बाद 1 साल की इंटर्नशिप की और 7 महीने बतौर जूनियर रेसिडेंट अंबेडकर अस्पताल के रेडियो डायग्नोस्टिक विभाग में संविदा आधार पर सरकारी नौकरी भी की।

सत्र 2008-09 सीजी-पीएमटी में इस छात्रा की जगह किसी अन्य ने परीक्षा दी थी। सीआईडी जांच में सबूत मिलने के बाद छात्रा पर सीआईडी थाने में आईपीसी की धारा 420 के तहत अपराध दर्ज किया गया था। उसके बाद छात्रा ने हाईकोर्ट में अग्रिम जमानत के लिए आवेदन किया, जमानत मिलने के बाद वह नियमित पढ़ाई करती रही। 

सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक वह किसी साल फेल नहीं हुई। सीआईडी ने इस आरोपी डॉक्टर समेत प्रदेश के 3 शासकीय कॉलेजों में पढ़ाई कर रहे 41 मुन्‍नाभाइयों के विरुद्ध हाईकोर्ट में चालान पेश कर दिया है, जिस पर जल्द सुनवाई शुरू होगी।

इस बेच के कई छात्र फर्स्ट ईयर तक पास नहीं कर सके हैं, कुछ बमुश्किल पास हो रहे हैं। साल 2007 बेच और पहला मुन्‍नाभाई फजल मसीह अभी फर्स्ट ईयर तक पास नहीं कर पाया है। ऐसे छात्रों के विरुद्ध कार्रवाई संबंधी मार्गदर्शन के लिए डीन मेडिकल कॉलेज डॉ. अशोक चंद्राकर ने मेडिकल काउंसिल ऑफ इंडिया (एमसीआई) को पत्र लिखा है, लेकिन सालभर हो चुका है, कोई जवाब नहीं आया है।

मुन्‍नाभाई ने कर ली प्रैक्टिस
छात्रा ने एमबीबीएस की डिग्री लेने के बाद छत्तीसगढ़ मेडिकल काउंसिल में पंजीयन करवाया होगा तभी उसने अंबेडकर में नौकरी के लिए आवेदन किया और उसे नौकरी मिली। हालांकि उसने 7 महीने नौकरी करने के बाद मार्च 2015 में नौकरी छोड़ भी दी।

डीएमई प्रताप सिंह ने कहा था कि मुन्‍नाभाइयों को परीक्षा में बैठने से नहीं रोक सकते, डिग्री भी देंगे। लेकिन उन्होंने यह भी कहा था कि जब तक प्रकरण कोर्ट में है, उनका पंजीयन नहीं होगा, न ही वे प्रैक्टिस कर सकेंगे। लेकिन इस छात्रा ने तो 7 महीने सरकारी अस्पताल में भी प्रैक्टिस कर ली। डीएमई का लिखा पत्र, छत्तीसगढ़ मेडिकल काउंसिल को अब तक नहीं मिला है।

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